हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं ज्येष्ठ मास की अमावस्या और पूर्णिमा दोनों दिन करती हैं। अलग-अलग परंपराओं के अनुसार अलग-अलग जगहों पर वट सावित्री व्रत वट अमावस्या और पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। दोनों में वट वृक्ष की ही पूजा की जाती है और सत्यवान सावित्री की कथा पढ़ी जाती है।
स्कंद पुराण और भविष्योत्तर पुराण के मुताबिक ज्येष्ठ पूर्णिमा 'को सौभाग्य और संतान प्राप्ति के लिए महिलाएं यह व्रत करती हैं।
इस दिन गंगा स्नान कर के पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। संतानं और पति की उम्र बढ़ती है, अनजाने में किए गए पाप खत्म हो जाते हैं। हिंदू धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा महत्वपूर्ण है।
महिलाएं पति की लंबी उम्र और अच्छी सेहत के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। ऐसा कहा जाता है कि वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। इसलिए पेड़ की उपासना करने से महिलाओं को सभी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।

🌳 वट सावित्री व्रत का महत्व
वट सावित्री व्रत का संबंध सती सावित्री की कथा से जुड़ा है, जिन्होंने अपने पति सत्यवान को मृत्यु के देवता यमराज से भी वापस प्राप्त कर लिया था। यह व्रत पतिव्रता नारी के साहस, समर्पण और प्रेम का प्रतीक है।

📖 सावित्री-सत्यवान की कथा (संक्षिप्त में)
इस दिन बटे वृक्ष यानी बरगद के साथ सत्यवान और सावित्री की पूजा का विधान है। इस दिन महिलाएं वट वृक्ष (बड़ के पेड़) की पूजा करती हैं और सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं।
सावित्री एक राजकुमारी थीं, जिन्होंने एक वनवासी युवक सत्यवान से विवाह किया था। सत्यवान अल्पायु थे, लेकिन सावित्री का प्रेम और तपस्या इतनी महान थी कि जब यमराज उनके पति को लेने आए तो सावित्री ने बुद्धिमत्ता और दृढ़ निश्चय से यमराज को पराजित कर दिया और अपने पति को जीवनदान दिलवाया।
पौराणिक कथा के अनुसार मद्र देश के राजा अश्वपति की कोई संतान नहीं थी। उन्होंने संतान पाने के लिए यज्ञ किया, जो 18 साल तक चलता रहा। इसके बाद देवी सावित्री प्रकट हुई और आशीर्वाद दिया कि तुम्हें जल्दी ही तेजस्वी बच्ची मिलेगी।
ऐसा ही हुआ, राजा के घर बेटी का जन्म हुआ। मां सावित्री की कृपा से जन्म लेने के कारण उस बच्ची का नाम सावित्री रखा गया।
सावित्री बड़ी हुई, लेकिन उसकी शादी के लिए कोई अच्छा राजकुमार नहीं मिल रहा था। इससे सावित्री के पिता दुखी थे। उन्होंने अपनी बेटी को ही राजकुमार की तलाश में भेजा। सावित्री तपोवन में भटकने लगी। वहां साल्व देश के राजा द्युमत्सेन रहते थे, क्योंकि उनका राज्य किसी ने छीन लिया था। उनके बेटे सत्यवान को सावित्री ने पति के रूप में चुन लिया।
नारदजी ने सावित्री को सत्यवान से शादी न करने की सलाह दी, कि सत्यवान अल्पायु है, यानी उसकी मृत्यु जल्दी हो जाएगी। फिर भी सावित्री ने सत्यवान से ही शादी की, लेकिन शादी के कुछ दिनों बाद जंगल में बरगद के पेड़ के नीचे सत्यवान की मृत्यु हो गई। तब सावित्री ने भगवान शिव की तपस्या की।
वह पतिव्रता थी, इसलिए भगवान खुश हुए। उन्होंने सावित्री को अपने पति के प्राण वापस लाने के लिए यमलोक भेज दिया। वहां सावित्री ने यमराज से पति को वापस जिंदा करने की विनती की। तब यमराज ने उसके पत्ति को वापस जिंदा कर दिया औरं सावित्री को धरती पर भेज दिया।
सावित्री ने अपने तप और सतित्व की ताकत से मृत्यु के स्वामी भगवान वम को अपने पति सत्यवान के प्राण वापस करने के लिए मजबूर किया इसलिए शादीशुदा महिलाएं अपने पति की सलामती और लंबी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत करती हैं।
🎯 वट सावित्री व्रत के लाभ
- पति की लंबी उम्र
- वैवाहिक जीवन में प्रेम और सौहार्द
- पारिवारिक सुख-शांति
- पुण्य प्राप्ति
🛐 वट सावित्री व्रत की पूजा विधि
आवश्यक सामग्री:
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वट वृक्ष (बड़ का पेड़)
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पूजन थाली
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जल भरा कलश
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मौली (कलावा), रोली, चावल
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फल-फूल, धूप-दीप
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सात प्रकार के अनाज
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मिठाई, पंचामृत
पूजा का तरीका:
- प्रातः स्नान कर सादा वस्त्र पहनें (अधिकतर महिलाएं लाल या पीले वस्त्र पहनती हैं)।
- वट वृक्ष के पास जाकर उसकी पूजा करें।
- वृक्ष के चारों ओर मौली (धागा) लपेटते हुए सात बार परिक्रमा करें।
- व्रत कथा सुनें – जिसमें सावित्री के साहस का वर्णन है।
- पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करें।
🔚 निष्कर्ष
वट सावित्री व्रत नारी शक्ति, समर्पण और विश्वास का अद्वितीय प्रतीक है। यह न केवल पारंपरिक महत्व रखता है, बल्कि आज के आधुनिक युग में भी स्त्रियों के सशक्तिकरण का संदेश देता है। सावित्री जैसी नारी आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।
📝 FAQs – वट सावित्री व्रत के बारे में सामान्य प्रश्न
Q. वट सावित्री व्रत कब रखा जाता है?
A. यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को रखा जाता है।
Q. वट वृक्ष की पूजा क्यों की जाती है?
A. वट वृक्ष दीर्घायु और शक्ति का प्रतीक है। यह भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव का वास स्थान भी माना जाता है।
Q. क्या वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए ही है?
A. हाँ, परंपरागत रूप से यह व्रत विवाहित स्त्रियों द्वारा पति की दीर्घायु के लिए किया जाता है।
Q. वट सावित्री की कथा कौन-कौन सुन सकता है?
A. सभी स्त्रियाँ व कथा सुन सकती हैं, विशेषकर जो व्रत रख रही हैं।
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