दीपावली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी आती है, जिसे छोटी दीपावली, रूप चौदस, भूत चतुर्दशी और नरक निवारण चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है।
इस दिन लोग अपने परिवार को अकाल मृत्यु से बचाने के लिए और मोक्ष के लिए यमराज सहित देवी देवताओं की पूजा करते हैं। इस दिन मां काली की पूजा अर्चना विधि-विधान से करने पर शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है।
यह पर्व धनतेरस से अगले दिन तथा दीपावली से एक दिन पूर्व मनाया जाता है। इस अवसर पर की गई पूजा में 6 देवी देवताओं - यमराज, श्रीकृष्ण, माता काली, भगवान शिव, हनुमान जी व वामन जी की पूजा की जाती है। इस दिन पूजा-अर्चना करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है। शाम को पूजा करने से घर में सकारात्मकता का वास होता है।
एक कथा के अनुसार, राक्षस नरकानुसार देव-देवियों और मानव जाति को बहुत परेशान करता था। उसने 16 हजार स्त्रियों को बंदी बनाकर रखा था तथा देवी-देवताओं ने भगवान श्री कृष्ण की शरण ली। उन्होंने नरकासुर का वध कर तीनो लोकों को अत्याचार से मुक्त कराया।
नरकासुर Narakasur को श्राप मिला था कि वह किसी स्त्री के कारण मारा जाएगा। इस कारण से योगेश्वर श्री कृष्ण ने पत्नी सत्यभामा की मदद ली। उन्हें अपने रथ का सारथी बनाकर राक्षस नरकासुर का वध किया तथा 16 हजार स्त्रियों को मुक्त कराया। उन्होंने 16 हजार स्त्रियों को अपने नाम के रक्षा सूत्र दिए, ताकि सम्पूर्ण आर्यव्रत में इन स्त्रियों को भी श्री कृष्ण की पत्नी की तरह सम्मान मिल सके। इस अवसर पर दीपावली की तरह दीपक जलाए जाते हैं। यमराज एवं बजरंग बली की पूजा खासतौर पर की जाती है।
मान्यता है कि इस दिन यमराज की पूजा करने से नरक में मिलने वाली यातनाओं और अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है। दीपावली पर यम के लिए चतुर्मुख दीपदान करना शुभ होता है। लम्बी उम्र के लिए घर के बाहर यम का दीपक जलाने की परम्परा है। यह दीपक दक्षिण दिशा में जलाना चाहिए। इस दिन तेल लगाकर स्नान किया जाता है। मान्यता है कि कार्तिक महीने में तेल लगाकर स्नान नहीं किया जाता लेकिन नरक चतुर्दशी Narak Chaudas के दिन तेल लगाकर ही स्नान किया जाता है। इस दिन हनुमान चालीसा या सुंदर कांड का पाठ करना श्रेष्ठ होता है। नरक चतुर्दशी Narak Chaudas के दिन घर के नरक यानी गंदगी को साफ किया जाता है। इसके अगले दिन महालक्ष्मी की पूजा Mahalaxmi Puja प्रदोष काल में की जाती है। इस दिन श्री कृष्ण की पूजा राधा रानी जी के साथ की जाती है।
छोटी दीवाली शुभ मुहूर्त (Choti Diwali Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 30 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट पर होने जा रहा है। वहीं इस तिथि का समापन 31 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 52 मिनट पर होगा। ऐसे में छोटी दीवाली अर्थात नरक चतुर्दशी बुधवार, 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा -
काली चौदस मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 31 अक्टूबर रात्रि 12 बजकर 31 मिनट तक
हनुमान पूजा मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 31 अक्टूबर 12 बजकर 31 मिनट तक
नरक चतुर्दशी के दिन कितने दिए जलाए जाते हैं?
छोटी दिवाली पर कितने दीपक जलाने चाहिए- छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी के दिन 14 दीये जलाने की परंपरा है। 14 दीयों में से एक दीया यम देवता का भी होता है।नरक चौदस के दिन किसकी पूजा की जाती है?
नरक चतुर्दशी में किसकी पूजा होती है: नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण, यमराज और धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
नरक चतुर्दशी के दिन कितने दिए जलते हैं?
नरक चतुर्दशी के दिन को हिंदुओं में बेहद खास माना जाता है। इस दिन को छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन लोग प्रदोष काल के दौरान चार मुखी दीया (Narak Chaturdashi Yam Deepak) जलाते हैं जो यम देव को समर्पित होता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा की ओर दीपक की लौ होना शुभ होता है। उत्तर दिशा में दीपक रखने से धन में वृद्धि होती है। वहीं, पश्चिम दिशा की ओर दीपक की लौ का जलना बेहद अशुभ बताया गया है। इस दिशा में दीपक का मुंह करके नहीं रखना चाहिए।
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