क्या आपकी बेटी किशोरावस्था से होकर गुजर रही है और आप उसकी शादी का सोचकर परेशान रहने लगी हैं? क्या आप किशोर बेटी की सारी आवश्यकताओं व शिक्षा-दीक्षा से अलग हटकर उसकी शादी के लिए पैसे जुटाने में लगी हैं? क्या आस- पड़ोस की महिलाएं आपको किशोर बेटी की जल्द से जल्द शादी कर डालने के लिए उकसाती हैं? क्या आप पति के साथ हमेशा किशोर बेटी की शादी की बात छेड़ने लगी हैं? क्या आपको हमेशा किशोर बेटी की सख्त निगरानी की पड़ी रहती है?

यदि उपरोक्त सवालों के जवाब हां में हों तो समझ लीजिए कि आपकी किशोर बेटी में आत्महीनता घर कर सकती है। किशोरी इतनी छोटी भी नहीं होती कि आपकी परेशानी व उतावलेपन को समझ न सके, लेकिन इतनी परिपक्व भी नहीं कि आपकी जिम्मेदारियों को समझ सके। वह अपनी पढ़ाई-लिखाई व करियर : बनाने में व्यस्त रहती है जबकि आप उसे उलझन में डाल देती हैं कि वह आपके लिए बोझ है व उसकी शादी कर देना मात्र आपकी जिम्मेदारी है।
आपके जरूरत से ज्यादा घबराए रहने से आपकी किशोर बेटी को बहुत नुकसान पहुंच सकता है। वह पढ़ाई-लिखाई व व्यक्तित्व निर्माण से हटकर शादी के प्रति आश्वस्त होकर फैशन के पीछे पड़ सकती है। इस तरह की लड़की आमतौर पर आजकल के लड़कों की भावनाओं पर खरी नहीं उतरती। अतः आपको चाहिए कि
* किशोर बेटी को अच्छी तरह से समझें, उसकी रुचियों व रुझान का ख्याल रखें। उसकी प्रतिभा को उजागर करने की चेष्टा मां की हैसियत से आप ही कर सकती हैं।
* किशोर बेटी खुद ब खुद मंजिल तलाश नहीं सकती, आपको चाहिए कि उसके लिए वैसी ही सुविधाएं उपलब्ध कराएं, जैसी कि बेटे के लिए करवाती हैं।
* किशोर बेटी को सैक्स व इससे जुड़ी जटिलताओं का ज्ञान कराने के लिए जरूरी नहीं कि आप उसे सीधी हिदायत दें, आप समाज में घट रही घटनाओं के उदाहरण देकर उसको समझा सकती हैं।
* किशोर बेटी के लिए आप ही सबसे अच्छी सहेली साबित हो सकती हैं, सद्व्यवहार से आप उसके अंदर की बातें जान सकती हैं।
* बात-बात पर किशोर बेटी के सामने उसके पराए होने का वास्ता देकर उसकी खिंचाई करने व उसके सामने बेटे की पीठ थपथपाकर उसे महिमा मंडित करने से भी बाज आएं।
* बेटी पर निगरानी अवश्य रखें, मगर इतनी चौकसी भी नहीं कि वह किशोरावस्था में ही आजाद होने के रास्ते तलाशने लगे।
* बेटी के पूर्ण शिक्षित होने के बाद ही उसके सामने शादी-विवाह की बात छेड़ें।
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