गणेश चतुर्थी Ganesh Chaturthi 10 दिनों तक चलने वाला गणेश उत्सव, भगवान गणेश सभी देवों में सबसे पहले देव माने जाते हैं. ऐसे में कोई भी शुभ काम करने से पहले भगवान गणेश Lord Ganesha की पूजा की जाती है.
कब है गणेश चतुर्थी? गणेश चतुर्थी कब है ? (Ganesh Chaturthi kab hai)
पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरूआत 26 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 54 मिनट पर होगा, जिसका समापन अगले दिन यानी 27 अगस्त को 03 बजकर 44 मिनट पर होगा. उदयातिथि के आधार पर 27 अगस्त 2025 को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा.

यूं शुरू हुआ 'गणपति उत्सव'
गणेश चतुर्थी ( Ganesh Chaturthi ) पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ था।
गणेश चतुर्थी के बाद दस दिनों तक लगातार गणेशोत्सव की धूम देखने को मिलती है। गणेश चतुर्थी ( Ganesh Chaturthi ) आस्था से तो जुड़ा ही हुआ है, लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में भी इसकी खास अहमियत रही है।
गणेश चतुर्थी ( Ganesh Chaturthi ) कब से मनाई जा रही है इसके कोई प्रमाण नहीं मिले हैं, लेकिन महाराष्ट्र में सबसे पहले इस त्यौहार की शुरुआत करने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज ही थे। 1818 से लेकर 1892 तक इस त्यौहार को घरों में मनाया जाने लगा। स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने लोगों के घरों तक सीमित रहने वाले गणेश चतुर्थी ( Ganesh Chaturthi ) को बड़े सार्वजनिक समारोह तब्दील कर दिया और 1893 में गणेश उत्सव को सामाजिक और धार्मिक तौर पर मनाना शुरू कर दिया गया। कह सकते हैं कि लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने ही गणेशोत्सव की नींव रखी थी। इस त्यौहार को मनाने के पीछे का उद्देश्य अंग्रेजों के खिलाफ भारतीयों को एकजुट करना था।
आज जिस गणेशोत्सव को लोग इतनी धूमधाम से मनाते हैं, उस पर्व को शुरू करने में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।
1890 के दशक में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान तिलक अक्सर चौपाटी पर समुद्र के किनारे बैठते और इसी सोच में डूबे रहते कि आखिर लोगों को जोड़ा कैसे जाए। अंग्रेजों के खिलाफ एकजुटता बनाने के लिए उन्होंने धार्मिक मार्ग चुना। तिलक ने सोचा कि क्यों न गणेशोत्सव को घरों से निकाल कर सार्वजनिक स्थल पर मनाया जाए, ताकि इसमें हर जाति के लोग शिरकत कर सकें।
धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार, श्री वेद व्यास ने गणेश चतुर्थी ( Ganesh Chaturthi )से महाभारत कथा श्री गणेश को लगातार 10 दिन तक सुनाई थी, जिसे श्री गणेश जी ने अक्षरशः लिखा था।
10 दिन बाद जब वेद व्यास जी ने आंखें खोलीं तो पाया कि 10 दिन की अथक मेहनत के बाद गणेश जी का तापमान बहुत बढ़ गया है। वेद व्यास जी ने गणेश जी को तुरंत निकट के सरोवर में ले जाकर ठंडे पानी से स्नान कराया था इसलिए गणेश स्थापना कर चतुर्दशी को उनको शीतल किया जाता है।
इसी कथा में यह भी वर्णित है कि श्री गणपति जी के शरीर का तापमान न बढ़े, इसलिए वेद व्यास जी ने उनके शरीर पर सुगंधित सौंधी माटी का लेप किया।
यह लेप सूखने पर गणेश जी के शरीर में अकड़न आ गई। माटी झरने भी लगी। तब उन्हें शीतल सरोवर में ले जाकर पानी में उतारा।
इस बीच वेदव्यास जी ने 10 दिनों तक श्री गणेश को मनपसंद आहार अर्पित किए, तभी से प्रतीकात्मक रूप से श्री गणेश प्रतिमा की स्थापना व विसर्जन किया जाता है और 10 दिनों तक, उन्हें सुस्वादु आहार चढ़ाने की भी प्रथा है।
मान्यता है कि गणपति उत्सव के दौरान लोग अपनी जिस इच्छा की पूर्ति करना चाहते हैं, उसे वे भगवान गणपति के कानों में कह देते हैं।
गणपति स्थापना के बाद से 10 दिनों तक भगवान गणपति लोगों की इच्छाएं सुन-सुनकर इतना गर्म हो जाते हैं कि चतुर्दशी को बहते जल में विसर्जित कर उन्हें शीतल किया जाता है।
गणपति बप्पा से जुड़े मोरया नाम के पीछे गणपति जी का मयूरेश्वर स्वरूप माना जाता है। गणेश-पुराण के अनुसार, सिंधु नामक दानव के अत्याचार से मुक्ति पाने के लिए देवगणों ने गणपति जी का आह्वान किया।
सिंधु का संहार करने के लिए गणेश जी ने मयूर को वाहन चुना और छह भुजाओं का अवतार धारण किया। इस अवतार की पूजा भक्त 'गणपति बप्पा मोरया' के जयकारे के साथ करते हैं।

' गणेश जी ' की प्रिय वस्तुएं
अग्र पूज्य भगवान श्री गणेश को प्रसन्न करने के लिए अपनाएं ये उपाय :
हर दिन चढ़ाएं पांच दूर्वा
गणेश जी को प्रसन्न करने का सबसे सस्ता और आसान उपाय है दूर्वा से गणेश जी की पूजा करना। दूर्वा गणेश जी को इसलिए प्रिय है क्योंकि दूर्वा में अमृत मौजूद होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति गणेश जी की पूजा दुर्वांकुर से करता है, वह कुबेर के समान हो जाता है अर्थात व्यक्ति के पास धन-धान्य की कभी कमी नहीं रहती।
इसलिए प्रतिदिन सुबह स्नान पूजा करके गणेश जी को गिन कर 5 दूर्वा अर्थात हरी घास अर्पित करें। दूर्वा को गणेश जी के मस्तक पर रखना चाहिए। चरणों में नहीं। दूर्वा अर्पित करते हुए मंत्र बोलें : 'इदं दूर्वादलं ओम् गं गणपतये नमः ।'
लाल गुड़हल
वैसे तो भगवान गणेश को लाल रंग का कोई भी फूल चढ़ा सकते हैं लेकिन उन्हें लाल रंग का गुड़हल का फूल बहुत पसंद है। उनका दूसरा सबसे प्रिय फूल अर्क का फूल है। इसके साथ-साथ भारत के कुछ राज्यों में भगवान गणेश को अनार की पत्तियां और फूल भी चढ़ाए जाते हैं।
शमी के पत्ते
शास्त्रों के अनुसार शमी ही एकमात्र पौधा है जिसकी पूजा से गणेश जी और शनि दोनों प्रसन्न होते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री राम ने भी रावण पर विजय पाने के लिए शमी की पूजा की थी।
शमी गणेश जी को अत्यंत प्रिय है। शमी के कुछ पत्ते नियमित गणेश जी को अर्पित करें तो घर में धन एवं सुख की वृद्धि होती है।
चावल के पवित्र दाने
भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए पवित्र चावल अर्पित करें। पवित्र चावल उसे कहा जाता है जो टूटा हुआ नहीं हो। उबले हुए चावल का पूजा में इस्तेमाल मत करें।
सूखा चावल गणेश जी को नहीं चढ़ाएं। चावल को गीला करें फिर 'इदं अक्षतम् ओम् गं गणपतये नमः' मंत्र बोलते हुए 3 बार गणेश जी को चावल चढ़ाएं।
माथे पर लगाएं लाल सिंदूर
सिंदूर की लाली गणेश जी को बहुत पसंद है। गणेश जी की प्रसन्नता के लिए लाल सिंदूर का तिलक लगाएं। गणेश जी को तिलक लगाने के बाद अपने माथे पर सिंदूर का तिलक लगाएं। इससे गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है।
इससे आर्थिक क्षेत्र में आने वाली परेशानी और विघ्न से गणेश जी रक्षा करते हैं। गणेश जी को सिंदूर चढ़ाते समय निम्न मंत्र बोलें :
'सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम् ।
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्याताम् ।।
ओम् गं गणपतये नमः ।
गणेश जी को भाए मोदक
गणेश जी को प्रसन्न करने का अन्य सरल उपाय है मोदक का भोग । गणेश जी को मोदक का भोग लगाने वाले का गणपति मंगल करते हैं।
शास्त्रों में मोदक की तुलना ब्रह्म से की गई है। मोदक भी अमृत मिश्रित माना गया है। यह भी मान्यता है कि गणेश जी का एक दांत परशुराम जी के साथ युद्ध में टूट गया था। इस कारण अन्य वस्तुएं खाने में उन्हें कष्ट होता है क्योंकि उन्हें चबाना पड़ता है। मोदक काफी मुलायम होता है जिससे इसे चबाना नहीं पड़ता इसलिए गणेश जी को मोदक बहुत प्रिय है।
घी
पंचामृत में एक अमृत घी होता है। इसे पुष्टिवर्द्धक और रोगनाशक कहा जाता है। भगवान गणेश को घी काफी पसंद है। गणपति अथर्वशीर्ष में घी से गणेश की पूजा का बड़ा महात्म्य बताया गया है। घी से गणेश जी की पूजा करने वाले व्यक्ति की बुद्धि प्रखर होती है और वह अपनी योग्यता तथा ज्ञान से संसार में सब कुछ हासिल कर लेता है।
श्रीफल
श्रीफल दुनिया का सबसे पवित्र और दिव्य फल माना जाता है। गणेश पूजा में श्रीफल जरूर अर्पित करें। इससे आपकी गणेश पूजा सफल होगी।
हल्दी
भगवान गणेश को पीला रंग बहुत प्रिय है तथा हल्दी उनकी प्रिय वस्तुओं में से एक है। अतः गणेश पूजा में कच्ची हल्दी, पीला धागा, पीला फूल जरूर अर्पण करें। इससे भगवान गणेश की पूजा सफल होती है। यह हल्दी घर की तिजोरी में रखें।
बूंदी के लड्डू
गणेश जी को लड्डू बहुत पसंद है। गणेश पूजा को सफल बनाने के लिए बूंदी के लड्डू का भोग जरूर लगाएं और भक्तों में बाटें, खासकर बच्चों को जरूर खिलाएं।
आगे पढ़िए ... जानिये अद्भुत पराक्रम हनुमानजी का
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