भारत जिस तेजी से शिक्षा के गढ़ के रूप में विकसित हुआ है भारत विदेशी छात्रों के लिए एजुकेशन हब बन रहा है India is becoming an education hub for foreign students वह एक मिसाल है। यहां की यूनिवर्सिटीज और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के पास हर छात्र के लिए कुछ न कुछ खास है। छात्र चाहे इंफ्रास्ट्रक्चर, सोशल लाइफ, हैरिटेज, अफोर्डेबिलिटी, प्लेसमेंट चाहे जिसकी भी तलाश कर रहे हों।
भारत में राज्यों के संस्थान इन सभी के लिए उपयुक्त हैं। टाइम्स हायर एजुकेशन (टीएचई) की एशियाई विश्वविद्यालयों की सूची में अब 42 भारतीय विश्वविद्यालय शुमार हो गए हैं। पिछले साल यह संख्या 33 थी। भारतीय संस्थानों में आईआईएससी श्रेष्ठ है। वहीं, भारत का हृदय स्थल कहलाने वाले मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में ऐसे कई स्कूल व कॉलेज हैं जिनका शुमार राष्ट्रीय स्तर की टॉप 50 लिस्ट में हो चुका है। इसके अलावा भारत में ऑनलाइन एजुकेशन का दायरा बेहद तेजी से बढ़ रहा है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की ऑनलाइन एजुकेशन (ई-एजुकेशन) इंडस्ट्री कीमत के हिसाब से साल 2016 की तुलना में साल 2021 तक करीब 8 गुनी हो जाएगी। गूगल और प्रफेशनल सर्विस फर्म केपीएमजी द्वारा जारी की गई इस रिपोर्ट में बताया गया है कि यह इंडस्ट्री साल 2021 में 1.96 बिलयन डॉलर की हो जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक भारत की ई-एजुकेशन इंडस्ट्री साल 2016 में 247 मिलयन डॉलर की थी।
प्राथमिक शोध पर आधारित इस रिपोर्ट को 27 शहरों के 3600 लोगों की प्रतिक्रियाओं के आधार पर तैयार किया है। रिपोर्ट में साल 2021 तक ई-एजुकेशन के क्षेत्र में पेड यूजर्स की संख्या में बड़ा इजाफा होने की उम्मीद जताई गई है। इस अनुमान के मुताबिक साल 2016 में मौजूद 16 लाख पेड यूजर्स की संख्या साल 2021 तक बढ़कर 96 लाख की हो जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में शिक्षा से संबंधित होने वाली ऑनलाइन सर्च में पिछले 2 सालों में 2 गुना इजाफा हुआ है।
- 2030 तक हम दुनिया को स्किल्ड मैनपावर देने वाले प्रमुख देश होंगे
- विश्व के हर चार ग्रेजुएट्स में एक भारत का होगा
- एशिया की टॉप 200 लिस्ट में देश की 42 यूनिवर्सिटी
एक रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक भारत दुनिया को स्किल्ड मैनपावर प्रदान करने वाला सबसे बड़ा देश बन सकता है। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक इंडिया सबसे युवा खेल होगा और विश्व के हर चार केजुएट्स में एक भारत का होगा। पूरे देश में लगातार खुल रहे नहीं स्कूलों, प्रोफेशलाल कॉलेज, नेशनल इंस्टीट्यूशंस और पुराने संस्थानों द्वारा लगातार किए जा रहे सुधार इस दिशा में हमारे छात्रों का अग्रसर करेंज। यदि भारत को इस 2030 के इस मुकाम तक पहुंचना है तो भोपाल जैसे शहरों के संस्थानों की इस महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
मेट्रो शहरों को छोड़ इसलिए भोपाल आ रहे हैं छात्र
पिछले केवल दो दशक के भीतर मध्य भारत में भोपाल शहर की पहचान एजुकेशन हब के रूप में की जाने लगी है। यह अचानक ही नहीं हुआ है, बल्कि इसके पीछे कई कारण हैं। इन्हीं कारणों की वजह से भोपाल शहर में स्कूली व हायर स्टडी को लेकर न सिर्फ मध्य प्रदेश बल्कि दूसरे राज्यों के छात्र आकर्षित हो रहे हैं। यहां की भौगोलिक स्थिति और आबो-हवा के अलावा स्टूडेंट फ्रेंडली माहौल ने इस शहर को इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए मध्यभारत का नया डेस्टिनेशन बना दिया है। यही वजह है कि कुछ समय पहले तक महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे राज्यों में इंजीनियरिंग की पढ़ाई का सपना देखने वाले छात्रों को अब भोपाल लुभा रहा है। बेहतरीन कॉलेज, पसंदीदा ब्रांच और अन्य राज्यों की तुलना में सस्ती पढ़ाई ने भोपाल को पहली पसंद बना दिया है।
भारत में हमारी यह स्थिति
विश्व के शिक्षा पटल पर हमारे देश का महत्वपूर्ण स्थान है। देश में करीब 14 लाख स्कूल हैं जिनमें लगभग 22.7 करोड़ स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं। उच्च शिक्षा की बात की जाए तो देशभर में 36 हजार से अधिक हायर एजूकेशन इंस्टीट्यूट्स हैं। भारत का हायर एजूकेशन सिस्टम दुनिया के सबसे बड़े सिस्टम्स में से एक है। हायर एजूकेशन में पिछले करीब दो दशकों में 7 करोड़ से अधिक स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया है।
अहम बातें एजूकेशन लोन के बारे में
एजूकेशन लोन वो भारतीय नागरिक ले सकते हैं जिन्होंने भारत में या विदेश में मेरिट बेस्ड सलेक्शन प्रोसेस से किसी प्रोफेशनल या टेक्नीकल कोर्स में एडमिशन लिया हो।
* बैंकें भारत में पढ़ाई के लिए 10 लाख रुपए तक और विदेश में पढ़ाई के लिए 20 लाख तक का लोन देते हैं।
* एजूकेशन लोन के लिए किसी को अप्लीकेंट का होना जरूरी है। को-अप्लीकेंट माता-पिता, पति-पत्नि या भाई-बहन हो सकता है।
* यदि लोन राशि 4 लाख रुपए से कम हैं तो किसी सिक्युरिटी की जरूरत नहीं है। 4 लाख रुपए से अधिक के लोन के लिए पर्सनल गारंटी लगती है और ऐसे व्यक्ति की लगती है जिसकी आय और रिपेमेंट की कैपेसिटी बैंक को स्वीकार्य हो। 7.5 लाख रुपए से अधिक लोन के लिए बैंक को घर या आभूषण जैसी सिक्यूरिटी की आवश्यकता होगी।
* लोन का रीपेमेंट कोर्स खत्म होने के छह महीने या एक साल बाद शुरू होता है। मोराटोरियम पीरियड के दौरान सिंपल इंटरेस्ट चार्ज किया जाता है।
विदेशी छात्रों के लिए एजुकेशन हब बन रहा है भारत
भारत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का केंद्र बन रहा है। दुनिया के सभी देशों से बड़ी संख्या में नौजवान शिक्षा के लिए यहां आ रहे हैं। पढ़ाई के लिए छात्रों द्वारा भारत के चयन के पीछे यहां सस्ते रहन-सहन और आरामदायक परिवहन का भी योगदान है। संस्थान जहां छात्रों को किफायती दरों पर होस्टल की सुविधा देते हैं, तो वहीं छात्रों के पास पेइंग गेस्ट की तरह रहने या कम किराए पर रूम लेने की व्यवस्था है।
तकनीकी योजनाओं ने दिलाया लाभ
वैश्विक प्रतिस्पर्धा के इस दौर में युवाओं को तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट शिक्षा देने की व्यवस्था हमारे देश में अचानक नहीं हो गई। तकनीकी शिक्षण प्रशिक्षण की विभिन्न योजनाओं के तहत देश में तकनीकी शिक्षा का प्रसार धीरे-धीरे हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय शिक्षा में कई वर्षों के अनुभव के साथ देश की उच्चक शिक्षा प्रणाली छात्रों को अंतर्राष्ट्रीय योग्यनता प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है।
इन बातों पर इंस्टीट्यूट्स का फोकस
देश के हायर एजूकेशन संस्थानों में इंडस्ट्री बेस्ड एजुकेशन और ट्रेनिंग दिए जाने पर जोर दिया जा रहा है। इसके अनुसार करिकुलम में उचित बदलाव किए गए हैं। संस्थानों में एजूकेशन केवल करिकुलम तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह इंटर्नशिप, सेमिनार और लाइव प्रोजेक्ट्स, वर्कशॉप्स और इंडस्ट्रियल विजिट तक फैली है। देश में सभी स्कूल, कॉलेज एवं अन्य शिक्षण संस्थान इसे बढ़ावा दे रहे हैं।
भारत से पढ़कर अब विदेशों में
देश के युवा विदेशी यूनिवर्सिटीज में बेहतर परफॉर्म कर रहे हैं। इसका कारण है कि छात्रों के शिक्षण- प्रशिक्षण में शोध और अनुसंधान पर जोर दिया जा रहा है। प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने में यहां का कोई भी संस्थान पीछे नहीं है। शोध और अनुसंधान की बात करें तो देश के इंजीनियरिंग कॉलेज इस दिशा में काफी आगे की सोच रहे हैं और इसके लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं।
कैंपस प्लेसमेंट में भी आगे
पिछले कुछ सालों में यहां कैंपस प्लेसमेंट के लिए आने वाली कंपनियों की संख्या ने भी छात्रों को आकर्षित किया है। कैंपस में हर साल हजारों छात्रों का चयन होता है। आईटी से लेकर आटोमोबाइल, मेडिकल, इंजीनियरिंग आदि क्षेत्र की कंपनियां अलग- अलग राज्य में कैंपस प्लेसमेंट के लिए हर साल आ रही हैं। इसके अलावा विदेशी कंपनियों में भी छात्रों का चयन किया जा रहा।
देश में प्रमुख यूनिवर्सिटीज
* दिल्ली यूनिवर्सिटी
* इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस बेंगलौर
* माखनलाल चतुर्वेदी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑप जर्नलिजम एंड कम्युनिवकेशन
* बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, वाराणासी
* यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद
* राजा भोज ओपन यूनिवर्सिटी
* मणिपाल एकेडमी फॉर हायर एजुकेशन
* आइसेक्ट यूनिवर्सिटी
इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूशंस
* इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मद्रास
* इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बॉम्बे
* इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी दिल्ली
* इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कानपुर
* इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नॉलॉजी, मुंबई
मेडिकल कॉलेज
* ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, नई दिल्ली (एम्स)
* कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मणिपाल
* बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, वाराणासी
* पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़
* जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, कर्नाटक
* यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस, नई दिल्ली
* अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़
* अन्नामलाई यूनिवर्सिटी तमिलनाडु
प्रमुख लॉ कॉलेज
* नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु
* नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
* नलसर यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ, हैदराबाद
* नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, जोधपुर
* जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली
* सिम्बोयसिस लॉ स्कूल, पुणे
* डॉ. बी आर अम्बेडकर कॉलेज ऑफ लॉ विशाखापट्टनम
प्रमुख स्कूल
* सेंट जेवियर कोलगेट स्कूल, कोलकाता
* ला मार्टिनियर फॉर गर्ल्स स्कूल, कोलकाता
* द दून स्कूल, देहरादून
* लिटिल फ्लावर हाई स्कूल, हैदराबाद
* बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल, मुंबई
* द वैली स्कूल, बेंगलुरु
* सेंट जॉन्स हाई स्कूल चंडीगढ़
* ग्रीनवुड इंटरनेशनल हाई स्कूल बेंगलुरु
* द एमराल्ड हाइट्स इंटरनेशनल स्कूल, इंदौर
* धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल
ऐसी बातें जो हमे गर्व करवाती हैं
भारत दुनिया को टेलेंटेड मेनपावर प्रदान करने वाले सबसे बड़ा स्रोत है।
विश्व की टॉप 200 यूनिवर्सिटीज में भारतीय 23 यूनिवर्सिटीज हैं। दो दशक पहले इस लिस्ट में एक भी भारतीय यूनिवर्सिटी नहीं थी।
पिछले केवल 20 वर्षों में 6 भारतीय बुद्धिजीवियों को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
उच्च शिक्षा में भारत एक क्षेत्रीय केंद्र के रूप में उभरा है। दुनिया भर के विद्यार्थी आकर्षित हो रहे हैं।
उच्च शिक्षा आयु वर्ग के मामले में भारत में 2030 तक दुनिया में सबसे बड़ी आबादी होगी।
भारत के पास दुनिया में • आरएंडडी का प्रमुख केंद्र बनने का अवसर है।
2030 तक भारत दुनिया को स्किल्ड मैनपावर प्रदान करने वाला सबसे बड़ा देश बन सकता है।
Thankyou