स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि सभी लोगों को खान-पान और शारीरिक गतिविधियों पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। 20-30 की आयु में यदि आप नियमित रूप से व्यायाम के साथ पौष्टिक आहार के सेवन करते हैं तो बीमारियों का खतरा काफी कम हो सकता है। आइए आगे वृद्धावस्था में स्वस्थ और खुश रहने के उपाय - Ways to stay fit till old age जानते हैं

* स्वयं को कब्ज से बचाकर रखें। कब्ज बहुत-सी बीमारियों का घर है। इसके लिए रात्रि भोजन के एक घंटे बाद 'ईसबगोल या त्रिफला' चूर्ण एक चम्मच नियमित रूप से इस्तेमाल करें, यदि अनुकूल हो तो रात्रि में सोने से पूर्व एक गिलास गर्म दूध लें। शौच के लिए कभी जोर नहीं लगाएं। इससे कब्ज की संभावना बढ़ जाती है।
* नियमित योगासन, व्यायाम व मालिश करें। सुबह-शाम पास के पार्क में सैर करने के लिए अवश्य जाएं और लम्बी गहरी सांसें लें। वृद्धावस्था रोकने के लिए जॉगिग (मंदगति की दौड़) बहुत उपयोगी है। नित्य सुबह धूप में 5-10 मिनट तक पूरे शरीर पर खुली किरणें लेना उपयोगी रहता है। * मैडीकल चैकअप करवाएं। आवश्यकता पड़ने पर उपयुक्त चिकित्सा का सहारा लें।
* कमर व गर्दन को सीधी एवं सिर यथाशक्ति ऊंचा रखने की आदत बनाएं।
* सुखद बुढ़ापे के लिए संतुलित आहार लें। शरीर को फल व हरी सब्जियां उचित मात्रा में मिलती रहें। पनीर और दही (रात्रि में छोड़कर) स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं। भोजन में रोटी के लिए चोकर युक्त आटा इस्तेमाल करें।
* जीभ और स्वाद पर नियंत्रण अति आवश्यक है। चावल, नमक, घी, तेल, तेलीय-भुनी चीजें, मिठाई तथा आईसक्रीम खाना कम करें। प्राकृतिक जीवन जीने का मार्ग अपनाएं। जीवनचर्या जितनी प्रकृति के निकट होगी, आप उतने ही स्वस्थ होंगे।
* खाने को करें आधा, साग को करें दुगुना। हंसी को करें तिगुना, पानी को चौगुना।
* आंवला बुढ़ापे के लिए अमृत है। सुखद बुढ़ापे के इच्छुक इसका किसी भी रूप में दैनिक प्रयोग अवश्य करें।
* बच्चों व परिवार के बीच में रहें। शाम का समय बच्चों के साथ बिताएं और परिवार के लिए सहायक बनें।
* अपना दिल बड़ा रखें और अच्छी कल्याणकारी सलाह दें। ऐसा करने से सहन शक्ति बढ़ती है, आत्मा बलवान होती है मन में स्थिरता आती है और सम्मान बढ़ता है।
* अधिक बोलने की बजाय अधिक सुनने की आदत डालें। प्रातः एवं सायं कुछ समय तक मौन रहें।
* जीवन के सबसे व्यस्त दिन साठ वर्ष पार कर लेने के बाद के दिन होने चाहिएं। सार्थक जीवन जीने के लिए कुछ समय परोपकार एवं सेवा कार्यों के लिए अवश्य निकालें । जीवन में प्रसन्न रहने के लिए व्यावहारिक बनना जरूरी है और इसके लिए आवश्यक है आप सौम्य रूप में दिखें, वाकपटु बनें, मित्रों की संख्या बढ़ाएं, गतिशील व प्रसन्नचित रहें, आनंद के स्रोत ढूंढें, दिलचस्प बनें, सदा तरोताजा रहें एवं स्वभाव को मधुर बनाएं।
* धूम्रपान और नशे की आदतों से अपने आपको बचाकर रखें। अच्छी संगति में रह कर इनसे बचा जा सकता है।
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