राम नवमी कब? Ram Navami kab hai श्रीरामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है जो अप्रैल में आता है। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन मर्यादा-पुरूषोत्तम भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था।
रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है जो अप्रैल-मई में आता है। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन मर्यादा-पुरूषोत्तम भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था।
गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस बालकाण्ड में स्वयं लिखा है कि उन्होंने रामचरित मानस की रचना का आरम्भ अयोध्यापुरी में विक्रम सम्वत् १६३१ (१५७४ ईस्वी) के रामनवमी (मंगलवार) को किया था। Source गोस्वामी जी ने रामचरितमानस में श्रीराम के जन्म का वर्णन कुछ इस प्रकार किया है-
आईये जानते है राम नवमी कब है?, राम नवमी की पूजा विधि, राम नवमी का महत्व, राम नवमी की कथा, राम नवमी व्रत के लाभ, राम नवमी आरती हिंदी में, राम नवमी का पर्व कैसे मनाएं?, अयोध्या में राम नवमी का उत्सव, राम नवमी के दिन रामचरितमानस पाठ, राम नवमी की सही डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में।
राम नवमी कब है? (Ram Navami 2025 Date & Time)
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत 05 अप्रैल को शाम 07 बजकर 26 मिनट पर होगी। वहीं, तिथि का समापन अगले दिन यानी 06 अप्रैल को शाम 07 बजकर 22 मिनट पर होगा।
राम जन्म कथा (Ram Navami Katha)
रामायण के अनुसार, त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ की तीन रानियां थीं – कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा। राजा दशरथ को संतान सुख नहीं था, इसलिए उन्होंने पुत्रेष्टि यज्ञ किया। यज्ञ के फलस्वरूप, माता कौशल्या से श्रीराम, माता कैकेयी से भरत और माता सुमित्रा से लक्ष्मण व शत्रुघ्न का जन्म हुआ। श्रीराम भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं, जिन्होंने रावण का वध कर धर्म की स्थापना की।
हिन्दु धर्म शास्त्रों के अनुसार त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को समाप्त करने तथा धर्म की पुनः स्थापना के लिये भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्री राम के रूप में अवतार लिया था। श्रीराम चन्द्र जी का जन्म चैत्र शुक्ल की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में रानी कौशल्या की कोख से, राजा दशरथ के घर में हुआ था।
श्रीरामनवमी का त्यौहार पिछले कई हजार सालों से मनाया जा रहा है।रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियाँ थीं लेकिन बहुत समय तक कोई भी राजा दशरथ को सन्तान का सुख नहीं दे पायी थीं जिससे राजा दशरथ बहुत परेशान रहते थे। पुत्र प्राप्ति के लिए राजा दशरथ को ऋषि वशिष्ठ ने पुत्रकामेष्टि यज्ञ कराने को विचार दिया। इसके पश्चात् राजा दशरथ ने अपने जमाई, महर्षि ऋष्यश्रृंग से यज्ञ कराया। तत्पश्चात यज्ञकुण्ड से अग्निदेव अपने हाथों में खीर की कटोरी लेकर बाहर निकले।यज्ञ समाप्ति के बाद महर्षि ऋष्यश्रृंग ने दशरथ की तीनों पत्नियों को एक-एक कटोरी खीर खाने को दी। खीर खाने के कुछ महीनों बाद ही तीनों रानियाँ गर्भवती हो गयीं। ठीक 9 महीनों बाद राजा दशरथ की सबसे बड़ी रानी कौशल्या ने श्रीराम को जो भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे, कैकयी ने श्रीभरत को और सुमित्रा ने जुड़वा बच्चों श्रीलक्ष्मण और श्रीशत्रुघ्न को जन्म दिया। भगवान श्रीराम का जन्म धरती पर दुष्ट प्राणियों को संघार करने के लिए हुआ था। Source
रामनवमी का महत्व (Importance of Ram Navami)
यह पर्व भारत में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। रामनवमी के दिन ही चैत्र नवरात्र की समाप्ति भी हो जाती है। हिंदु धर्म शास्त्रों के अनुसार
भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव: इस दिन अयोध्या में भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्रीराम का जन्म हुआ था।
धर्म और मर्यादा: भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है, जो सत्य, न्याय और धर्म के प्रतीक हैं।
अयोध्या का विशेष महत्व: इस दिन अयोध्या में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
अत: इस शुभ तिथि को भक्त लोग रामनवमी के रूप में मनाते हैं एवं पवित्र नदियों में स्नान करके पुण्य के भागीदार होते है। Source
राम नवमी की पूजा विधि (Ram Navami Puja Vidhi)
- स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान श्रीराम की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें।
- दीपक जलाएं और गंगा जल से शुद्धिकरण करें।
- फूल, चंदन, तुलसी और पंचामृत से भगवान श्रीराम का अभिषेक करें।
- "ॐ श्री रामाय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
- रामचरितमानस या रामायण का पाठ करें।
- भगवान राम को खीर, फल और मिष्ठान का भोग लगाएं।
- राम नवमी की आरती करें और परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करें।
राम नवमी के व्रत का महत्व (Ram Navami Vrat Importance)
पापों से मुक्ति मिलती है।
श्रीराम की कृपा प्राप्त होती है।
मन की शांति और सुख-समृद्धि आती है।
संतान सुख की प्राप्ति होती है।
राम नवमी की आरती (Ram Navami Aarti)
॥दोहा॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि नोमि जनक सुतावरं ॥२॥
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥
शिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु कामादि खलदल गंजनं ॥५॥
मन जाहि राच्यो मिलहि सो वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील स्नेह जानत रावरो ॥६॥
एहि भांति गौरी असीस सुन सिय सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥
॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम अङ्ग फरकन लगे।
राम नवमी भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव का पावन पर्व है, जो हमें धर्म, मर्यादा और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। इस दिन श्रद्धालु उपवास रखते हैं, श्रीराम के भजन गाते हैं और रामचरितमानस का पाठ करते हैं। यह पर्व हमें भगवान श्रीराम के आदर्श जीवन से सीखने और अपने जीवन में उन्हें अपनाने का संदेश देता है।
आपको और आपके परिवार को राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ! 🙏
Thankyou