कैसा हो 'शिशु का आहार Child diet Plan' जीवन का प्रथम वर्ष तीव्र वृद्धि तथा विकास की अवधि है। मां का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है, परंतु 4 से 6 माह बाद केवल मां का दूध शिशु की बढ़ती आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पर्याप्त नहीं होता। पोषक तत्वों की कमी पूरी करने के लिए साथ-साथ अन्य आहार देने की भी जरूरत होती है। इसे पूरक आहार देने की प्रक्रिया कहते हैं। इसे स्तन्यमोचन भी कहा जाता है।
Child Diet Plan: कैसा हो 'शिशु का आहार'

किस प्रकार के पूरक आहार देने चाहिएं ?
4-6 महीने में तरल पूरक आहार दें; 6-8 महीने में अर्द्ध ठोस से ठोस पूरक आहार अच्छी तरह पकाए हुए तथा मसले हुए दें; 8-12 महीने में ठोस पूरक आहार टुकड़े किए हुए या गाढ़े दें।
1. तरल पूरक आहार : शुरू में फलों का रस, सूष या गाय/भैंस का दूध दिया जा सकता है। ताजे फलों के साथ-साथ हरी सब्जियों या दाल का पतला सूप दिया जा सकता है।
2. अर्द्ध ठोस पूरक आहार : पतला अर्द्ध ठोस आहार सामान्यतः पतला दलिया होता है, जिसे दूध व चीनी मिलाकर बनाया जा सकता है। दलिए के अतिरिक्त अच्छी तरह पकाए हुए तथा मसले हुए स्टार्च युक्त फल व सब्जियां भी दी जा सकती हैं।
3. ठोस पूरक आहार : लगभग 8 महीने के आसपास बच्चे के दांत निकलने शुरू हो जाते हैं। पहले जो खाद्य पदार्थ उबालकर व मसलकर दिए जाते थे, वही अब उबाल कर किन्तु छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर शिशु को देने चाहिएं। आलू व गाजर जैसी सब्जियां उबालकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर देनी चाहिएं। मांस तथा मछली को उबालकर बिना मसले टुकड़ों में देना चाहिए।
इस अवस्था में अच्छी तरह गले हुए चावल व रोटी के टुकड़े भी दिए जा सकते हैं। फल-सब्जियों के अतिरिक्त गाढ़ा दलिया भी शिशुओं को दिया जा सकता है, जोकि पहले दूध व चीनी के साथ दिया जाता था, उसे अब दूध के अतिरिक्त अन्य खाद्य पदार्थों जैसे दालों, पशुजन्य खाद्य पदार्थ, हरी व अन्य सब्जियों को डाल कर बनाया जा सकता है।
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