( sirf 1 mahine methi ka pani peene ke fayde ) मेथी के फायदे | सिर्फ 1 महीने मेथी का पानी पीने के फायदे बहुत है, मेथी का उपयोग शाक (सब्जी) और घरेलू औषध रूप में प्राचीन काल से होता रहा है। खराब पाचन वाले व्यक्तियों के लिए यह उपयोगी है। मेथी के सेवन से मुंह की लार ग्रंथियां उत्तेजित होकर लारस्त्राव बढ़ा देती हैं, जिससे पाचन संस्थान के अन्य अवयवों को सहायता मिलती है और उन पर अतिरिक्त कार्यभार नहीं पड़ता। मेथी आमाशय रस को सक्रिय करती है और यकृत पित्त के स्राव को भी खाद्य पदार्थ की आवश्यकतानुसार बढ़ाती है।
आंतों को यकृत पित्त पर्याप्त मिलने से भोजन का पाचन सुचारू रूप से होता है, साथ ही अपचन के कारण होने वाले हानिप्रद सूक्ष्म कृमियों की उत्पत्ति नहीं हो पाती। मेथी में पाए जाने वाले तेल तथा फासफोरिक एसिड से उदर की ६ स्वतंत्र वातनाड़ियों के तंतुओं को ऊर्जा मिलती है, जिससे अफारा, पेटदर्द, अपच दूर होते हैं। यह आहार में से रस का पर्याप्त शोषण कराती है, जिससे मल में गाढ़ापन आता है। साथ ही आंतों की गति को नियमित बनाती है जिसके कारण कब्ज नहीं हो पाती।
सुचारू पाचन के कारण आहार से शोषित रस, स्वास्थ्य के लिए आवश्यक तत्वों से परिपूर्ण होता है। ऐसे रस से आगे की धातुओं, रक्त, मांस आदि का पोषण क्रम भी प्राकृतिक रहता है और शरीर निरोगी तथा सबल बनता है। मेथी में गठिया नाशक (एंटी ड्यूमोटिक) द्रव्य 'टोई | मेथिलेमिन' पाया जाता है जिसके कारण यह लाभ पहुंचाती - है। यह अन्य कई शारीरिक विकारों जैसे भूख न लगना, कब्ज, अफारा, वमन, ज्वर, जुकाम, बहुमूत्र (अधिक पेशाब आना) आदि को भी दूर करती है। मेथी के इस्तेमाल से मधुमेह होने की संभावना कुछ सीमा तक घट जाती है।
चोट लगने पर : किसी भी वस्तु के आघात से अथवा गिरने पर लगी चोट से उत्पन्न सूजन और दर्द होने 5 पर मेथी के दानों की पुल्टिस या मेथी के बीजों का चूर्ण और एक-चौथाई आटा, घौ लगाकर प्रभावित स्थान पर बांधने से लाभ होता है।
कब्ज : मेथी का चूर्ण तीन-तीन ग्राम प्रातः-सायं गुड़ या जल के साथ कुछ दिनों तक लेने से पेट साफ रहने लगता है। मेथी कमजोर यकृत को बल प्रदान करती है।
बहुमूत्र : मेथी के दानों का रस 20 से 50 मिलीलीटर, 500 मि.ग्रा. कत्था और 5 से 10 ग्राम मिश्री मिलाकर प्रातः ६ एक से दो सप्ताह तक प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
नोट : इस विकार में यकृत की निर्बलता एक मुख्य ६ कारण है, अतः ऐसे व्यक्तियों को घी, तेल एवं शक्कर से बने पदार्थ कम से कम प्रयोग में लेने चाहिएं।
पेचिश : मेथी के दानों का रस 40 मि.ली. तथा शक्कर 5 ग्राम मिलाकर पिलाने अथवा मेथी का चूर्ण चार-चार ग्राम प्रात:-सायं मट्टे में मिलाकर रुचि अनुसार भूना जीरा और सेंधा नमक इसमें मिश्रित कर प्रयोग करने से इस रोग में काफी लाभ मिलता है।
गठिया : मेथी दाने दो छोटे चम्मच, अदरक टुकड़ा 5 ग्राम, लहसुन 5 ग्राम, नमक आवश्यकतानुसार मिलाकर चटनी की तरह नित्य सेवन कराना फायदेमंद होता है।
सावधानी : रक्तपित्त से पीड़ित रोगियों तथा निःसंतान युवा पुरुषों, जो अल्पशुक्राणु (ओलिगोस्पर्मिया) समस्या से ग्रस्त हों, को मेथी का इस्तेमाल नहीं करना, चाहिए।
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