2024 स्काईवॉचर्स के लिए एक रोमांचक वर्ष है क्योंकि ब्रह्मांड के मनमोहक दृश्य सामने आने वाले हैं। इस साल के दौरान दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण देखने को मिलेंगे।
सूर्य ग्रहण तब लगता है, जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है, जिससे चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है।
चंद्र ग्रहण तब लगता है, जब सूर्य पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर डालता है। चंद्र ग्रहण के दौरान, पृथ्वी भौतिक रूप से सूर्य और चंद्रमा के बीच होनी चाहिए और तीनों पिंड एक ही कक्षा तल पर स्थित होंगे। चूंकि चंद्र और सूर्य ग्रहण बहुत महत्व रखते हैं, इसलिए खगोलीय घटनाओं की सही तारीख और समय जानना महत्वपूर्ण है।

सूर्य ग्रहण Surya Grahan
पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को पड़ेगा। यह पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा। यह दक्षिण प्रशांत महासागर के ऊपर से शुरू होगा और मैक्सिको, संयुक्त राज्य अमरीका और कनाडा से गुजरते हुए उत्तरी अमरीका को पार करेगा। इस बीच, आंशिक सूर्य ग्रहण कोस्टारिका, क्यूबा, केमैन द्वीप, डोमिनिका, फ्रैंच पोलिनेशिया और जमैका सहित अन्य इलाकों में होगा।
दूसरा सूर्य ग्रहण Surya Grahan 2 अक्तूबर को है। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। वलयाकार या अग्नि वलय सूर्य ग्रहण, तब घटित होता है जब नया चंद्रमा सूर्य के सामने आता है लेकिन सूर्य की डिस्क को पूरी तरह से कवर नहीं करता। वलयाकार ग्रहण दक्षिण अमरीका (अर्जेंटीना और चिली) में दिखाई देगा तथा आशिक सूर्य ग्रहण दक्षिण अमरीका, अंटार्कटिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर और उत्तरी अमरीका में दिखाई देगा।
चंद्र ग्रहण Chandra Grahan
पहला चंद्र ग्रहण 25 मार्च को पड़ेगा। यह एक उपछाया चंद्र ग्रहण होगा। उपछाया चंद्र ग्रहण के दौरान, चंद्रमा पृथ्वी की छाया के एक बाहरी क्षेत्र से होकर गुजरता है जिसे पेनुम्ब्रा कहा जाता है- पृथ्वी की छाया का बाहरी भाग, जिसमें पृथ्वी चंद्रमा की डिस्क के कुछ हिस्से को ढकती हुई दिखाई देती है, लेकिन पूरे हिस्से को नहीं। यह यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका, उत्तर/पूर्व एशिया, उत्तरी अमरीका, दक्षिण अमरीका, प्रशांत, अटलांटिक, आर्कटिक और अंटार्कटिका के अधिकांश हिस्सों में दिखाई देगा।
दूसरा चंद्र ग्रहण Chandra Grahan
18 सितम्बर को लगेगा। यह आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। यह यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, उत्तर/पश्चिम-उत्तरी अमरीका, उत्तर/ पूर्व-दक्षिण अमरीका, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर, आर्कटिक और अंटार्कटिका में दिखाई देगा।
ये सभी ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देंगे, इसलिए इस बार सूतक काल लागू नहीं होगा।
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