मकर संक्रांति पर आसमान रंग-बिरंगी खूबसूरत पतंगों से भर जाता है। गुजरात के अहमदाबाद शहर में प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव भी मनाया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहली बार पतंग आई कहां से, किसने इसे सबसे पहले उड़ाया ? नहीं तो जानते हैं इनके जवाब ।
कैसे बनी पतंग Kite

वैसे तो पतंगों की उत्पत्ति या इतिहास के बारे में कोई लिखित वृत्तांत नहीं है और पतंग के आविष्कार को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं लेकिन माना जाता है कि पतंग उड़ाने के सबसे पहले लिखे गए लेख चीन के हान राजवंश के जनरल हान हसिन के कारनामों से थे ।
टोपी से बनी पतंग
किंवदंती है कि सबसे पहले पतंग का आविष्कार चीन में किया गया था और पूर्वी चीन के प्रांत शानडोंग को पतंग का घर कहा जाता है।
एक पौराणिक कथा से पता चलता है कि एक चीनी किसान अपनी टोपी को हवा में उड़ने से बचाने के लिए उसे एक रस्सी से टोपी को बांध कर रखता था पतंग की शुरूआत इसी अवधारणा से हुई थी।
एक और मान्यता के अनुसार 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में चीनी दार्शनिक मोझी और लू बान (गोंगशु बान) ने पतंग का आविष्कार किया था। तब पतंगों को बनाने के लिए बांस या फिर रेशम के कपड़े का इस्तेमाल किया जाता था। 549 ईस्वी से कागज की पतंगें उड़ाई जाने लगीं क्योंकि उस समय बचाव अभियान के लिए एक संदेश भेजने के रूप में कागज से बनी पतंग को इस्तेमाल किया गया था।
प्राचीन और मध्ययुगीन चीनी स्रोतों में यह भी वर्णित है कि पतंगों को हवा का परीक्षण, सैन्य अभियानों के संचार और सिग्नल भेजने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
सबसे पहली चीनी पतंग चपटी और आयातकार हुआ करती थी। बाद में पतंगों को पौराणिक रूपों और पौराणिक आंकड़ों से सजाया जाने लगा था और कुछ में सीटी भी फिट की जाती थी, ताकि उड़ते वक्त संगीत सुनाई दे।
पतंग केंद्र Kite Centre
वायुमंडल में हवा के तापमान, दबाव, आर्द्रता, वेग और दिशा के अध्ययन के लिए पहले पतंग का ही इस्तेमाल किया जाता था। 1898 से 1933 तक मौसम ब्यूरो ने मौसम के अध्ययन के लिए पतंग केंद्र बनाए हुए थे, जहां से मौसम का अनुमान लगाने की युक्तियों से लैस बॉक्स वाली पतंगें उड़ा कर मौसम का पता लगाया जाता था।
भारत में पतंग उड़ाने की शुरुआत ज्यादातर लोगों का मानना है कि चीनी यात्रि फा हियान और ह्यून सांग पतंग को भारत में लाए थे। यह टिश्यू पेपर और बांस के ढांचे से बनी होती थी ।
तरह-तरह की पतंगें
पहले के समय में लगभग सभी पतंगों का आकार एक जैसा ही होता था लेकिन अब इन्हें तरह-तरह के आकारों व आकृतियों में बनाया जाता है।
जैसे कि अहमदाबाद के अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव में दुनिया भर से पतंग उत्साही अपनी अनूठी तथा अत्यधिक असामान्य पतंगों के साथ पहुंचते हैं। इनमें मलेशिया से 'वाउ-बलांग पतंगें', अमरीका से विशाल बैनर पतंगें, इटली की कलात्मक पतंगें, मलेशिया की अत्यधिक लम्बी पतंगें, जापान की रोक्काकू लड़ाकू पतंगें, चीन के उड़ने वाले ड्रैगन शामिल हैं।
अहमदाबाद के एक मास्टर पतंग निर्माता और प्रसिद्ध पतंग उड़ाने वाले रसूलभाई रहीमभाई Rasulbhai Rahimbhai Patangwala तो हर वर्ष एक ही डोर पर 500 तक पतंगें उड़ा कर सबको हैरान कर देते हैं।
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