सनातन संस्कृति में 'हवन' के लाभ
हवन Havan : आदिकाल से ही सनातन संस्कृति में सुख- सौभाग्य के लिए हवन-यज्ञ की परम्परा रही है। औषधीय युक्त सामग्री से हवन-यज्ञ करने से पर्यावरण शुद्ध होता है।
अनेक वैज्ञानिकों एवं धर्मगुरुओं के अनुसार, जिस स्थान पर हवन किया जाता है, वहां उपस्थित लोगों पर तो उसका सकारात्मक असर पड़ता ही है, साथ ही पर्यावरण भी शुद्ध होता है, शरीर स्वस्थ रहता है क्योंकि हवन में काम में ली जाने वाली जड़ी-बूटी युक्त हवन सामग्री, शुद्ध घी, पवित्र वृक्षों की लकड़ियां, कपूर आदि के जलने से उत्पन्न अग्नि और धुएं से नकारात्मक शक्तियां भी दूर भागती हैं। माना जाता है कि एक बार हवन करने से घर को लम्बे समय तक शुद्ध रखा जा सकता है।

हवन (Havan ) से रोगाणु और विषाणु नष्ट होते हैं
ग्रंथों में अनेक तरह के यज्ञ और हवन Havan बताए गए हैं, जिनका शुभ प्रभाव न केवल व्यक्ति, बल्कि वायुमंडल को भी लाभ पहुंचाता है। अनेक शोधों से भी स्पष्ट हुआ है कि हवन और यज्ञ के दौरान बोले जाने वाले मंत्र तथा प्रज्ज्वलित होने वाली अग्नि से अनेक प्राकृतिक लाभ मिलते हैं, जो हमें एवं हमारी प्रकृति को लाभ पहुंचाते हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से हवन से निकलने वाले अग्नि के ताप और उसमें आहुति के लिए उपयोग की जाने वाली हवन की प्राकृतिक सामग्री यानी समिधा वातावरण में फैले विषाणुओं और रोगाणुओं को नष्ट करती है, बल्कि प्रदूषण को भी मिटाने में सहायक होती है।
साथ ही उनकी सुगंध व ऊष्मा मन व तन की अशांति व थकान को भी दूर करने वाली होती है। इस तरह हवन स्वस्थ और निरोगी जीवन का श्रेष्ठ धार्मिक और वैज्ञानिक उपाय है। 'राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान' द्वारा किए गए एक शोध में पता चला है कि यज्ञ और हवन के दौरान उठने वाले धुएं से वायु में मौजूद हानिकारक जीवाणु 94 प्रतिशत तक नष्ट हो जाते हैं। साथ ही इसके धुएं से वातावरण शुद्ध होता है और इससे बीमारी फैलने की आशंका काफी हद तक कम हो जाती है।
हवन (Havan ) ग्रह दोषों से मुक्ति
यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में बैठे ग्रह अशुभ प्रभाव दे रहे हों तो विधि-विधानपूर्वक हवन करते रहने से जल्दी ही ग्रहों के शुभ प्रभाव मिलने लगते हैं। पीड़ा देने वाले ग्रह से संबंधित वार को व्यक्तिसंकल्प करके ग्यारह या इक्कीस व्रत रखकर उसके उपरांत होम करके पूर्णाहुति देने से शोक, रोग, कष्ट और बाधाओं का निवारण होता है। हवन के समय तांबे के पात्र के जल का आचमन करने से हमारी इंद्रियां सक्रिय हो जाती हैं तथा शरीर में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होने से तन-मन स्वस्थ्य रहता है। वास्तु दोषों का निवारण
वास्तुशास्त्र में माना जाता है कि हवन-पूजन करने से सकारात्मक ऊर्जाओं का प्रवाह बढ़ जाता है, आसुरी शक्तियां दूर होती हैं।
भवननिर्माण के समय रह गए वास्तुदोषों को दूर करने के लिए सबसे आसान और अच्छा तरीका हवन करना ही है। वास्तु सिद्धांतों के अनुसार भवन में पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश तत्वों का संतुलन वहां रहने वालों को सुखी और संपन्न बनाएरखने में मदद करता है। हवन सामग्री इन पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करती है।
भवन में किसी तरह का कोई वास्तु दोष न रह जाए, इसलिए निर्माण से पूर्व शुभ मुहूर्त में भूमि पूजन और शिलान्यास में मंत्रोपचार के साथ हवन का महत्व है। इसी प्रकार भवन का निर्माण पूरा होने के बाद शुभ मुहूर्त में गृहप्रवेश के समय भी वास्तुपूजन के साथ हवन Havan किया जाता है जिससे कि भवन का आंतरिक और बाहरी वातावरण शुद्ध एवं पवित्र बना रह सके और उसमें रहने वाले सदस्य सभी प्रकार के रोग और पीड़ाओं से मुक्त रहकर सुख-शांति से जीवन जी सकें।
यज्ञ और हवन में अंतर क्या है
हवन Havan , यज्ञ का छोटा रूप है। किसी भी पूजा व जाप आदि के बाद अग्नि में दी जाने वाली आहुति की प्रक्रिया हवन के रूप में प्रचलित है। आप इसे अपने परिवार के साथ कर सकते हैं। हवन हिंदू धर्म में शुद्धिकरण का एक कर्मकांड है। दूसरी ओर यज्ञ एक अनुष्ठान होता है और वह किसी खास उद्देश्य से ही किया जाता है। इसमें देवता, आहुति, वेद मंत्र, दक्षिणा अनिवार्य होती है।
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