इस बार की मकर संक्रांति पर ग्रहों के बहुत ही शुभ योग इसे बेहद खास बना रहे हैं, जब ग्रहों के राजा सूर्यदेव अपने पिता और न्याय के देवता शनि की मकर राशि में गोचर करेंगे। मकर राशि कुंडली के दशम भाव में होती है और दशम भाव पिता और राज दरबार का स्थान होता है और जब सूर्य इस राशि में गोचर करेंगे तो तरक्की के रास्ते खोलते चले जाएंगे।

पांच शुभ योग
मकर संक्रांति पर एक साथ पांच शुभ योग बनना इसे बहुत ही खास बना रहा है। इस दिन वारियान योग बन रहा है, जो देर रात 11.11 तक रहेगा और इसे ज्योतिष में बहुत शुभ माना जाता है तथा इसके साथ ही खरमास भी समाप्त हो जाएगा व शुभ कार्यों की शुरुआत भी हो जाएगी। मकर संक्रांति पर ही बव और बालव करण का निर्माण भी हो रहा है। ज्योतिष में ये दो योग भी बहुत शुभ होते हैं और ऐसी मान्यता भी है कि इनमें किए गए कार्य हमेशा सफल होते हैं लेकिन इस दिन सबसे शुभ योग रवि योग बन रहा है जो सुबह 7.15 से 8.07 तक रहेगा। रवि योग तब बनता है जब चंद्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र से चौथे, छठे, नौंवे, दसवें, तेहरवें या 20वें में होता है। इस योग को हमारे शास्त्रों में बहुत ही शुभ माना जाता है। रवि योग में सूर्य पूजा करने से सभी कष्ट भी दूर होते हैं।
2080 तक 15 जनवरी को मनाई जाएगी मकर संक्रांति
मकर संक्रांति का पर्व इस बार 15 जनवरी को है। मकर संक्रांति 14 जनवरी को मध्य रात्रि 12.00 बजे के बाद 2.45 पर शुरू हो रही है और ज्योतिष में रात 12.00 बजे के बाद दिन बदल जाता है।
किसी भी त्यौहार की उदय तिथि ही मान्य होती है इसलिए मकर संक्रांति के पर्व को मनाने का शुभ मुहूर्त 15 जनवरी को ही होगा।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार सन् 2080 यानी आने वाले 56 वर्षों तक मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही मनाई जाएगी।
इसके बाद यह एक दिन और आगे बढ़ जाएगी यानी 56 वर्ष बाद सूर्य का मकर राशि में संक्रमण हर वर्ष 16 जनवरी को होगा।
स्नान का पुण्यकाल : 15 फरवरी को सुबह 7.15 से सायं 6.21 बजे तक रहेगा।
महा पुण्यकाल : सुबह 7.17 से सुबह 9.04 तक है।
मकर संक्रांति पर इस बार रवि योग जैसा महत्वपूर्ण योग तो रहेगा ही लेकिन साथ ही ग्रहों के सेनापति मंगल और ग्रहों के राजकुमार बुध धनु राशि में विराजमान होंगे। ज्योतिष में इनकी युति भी बेहद शुभ मानी जाती है।
खिचड़ी बनाने और खाने का महत्व
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने और खाने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि खिचड़ी में डाले जाने वाले पदार्थों का संबंध नवग्रहों से होता है इसलिए इस दिन खिचड़ी सेवन से आरोग्य का वरदान मिलता है। खिचड़ी में चावल का इस्तेमाल चंद्रमा और शुक्र की शुभता को दर्शाता है।
देसी घी का संबंध सूर्य से है। खिचड़ी में इस्तेमाल होने वाली चुटकी भर हल्दी देवगुरु बृहस्पति का प्रतिनिधित्व करती है जबकि खिचड़ी में डाली जाने वाली काली दाल शनि, राहू और केतु के अशोक प्रभाव को कम करती है। खिचड़ी में डाले जाने वाली मूंग की दाल का संबंध बुध ग्रह से है और खिचड़ी के साथ खाए जाने वाले गुड़ का संबंध मंगल और सूर्य से जोड़ा जाता है।
मकर संक्रांति पर काले तिल और गुड़ से बनी चीजों का दान विशेष रूप से किया जाता है ताकि शनिदेव और सूर्य देव का आशीर्वाद एक साथ मिलता रहे क्योंकि काले तिल को शनि से भी जोड़कर देखा जाता है।
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