हिमाचल में करसोग से 13 किलोमीटर पीछे शिमला मार्ग पर स्थित चिडी में माता रानी का एक प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर है। चिंडी माता मंदिर में अति प्राचीन अष्टभुजी मूर्ति स्थापित है। यह मूर्ति पत्थर की बनी हुई है। मान्यता है कि इस मंदिर का नक्शा किसी इंसान ने नहीं, बल्कि चींटियों ने तैयार किया था इसलिए इस मंदिर का नाम चिंडी मंदिर पड़ा।

चिंडी माता मंदिर की सदियों से लेकर चली आ रही कहानी आज भी बरकरार है। कहा जाता है कि माता कन्या रूप में प्रकट हुई थीं। मंदिर का निर्माण माता ने खुद चींटियों की डोर बनाकर किया था।
नक्शे की जानकारी माता ने एक पुजारी को स्वप्न में आकर दी थी। उसके बाद नक्शे को देख कर मंदिर बनाया गया था। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि मंदिर के साथ बने तालाब और भंडार गृह का नक्शा भी चींटियों ने ही बनाया था। कहते हैं कि चिंडी माता अपने क्षेत्र को छोड़कर कभी बाहर नहीं गईं, लेकिन जब सुकेत रियासत के राजा लक्ष्मण सेन ने माता को चौखट से बाहर निकालने की कोशिश की तो उसका खामियाजा राजा को भुगतना पड़ा था।
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार राजा लक्ष्मण सेन ने चिडी माता को सुंदरनगर बुलाने की जिद की। सैनिकों ने जैसे ही माता की मूर्ति को चौखट से बाहर निकाला, उसी समय माता के प्रकोप से अष्टधातु की उनकी मूर्ति काली पड़ गई लेकिन इसके बावजूद भी राजा के आदेश के अनुसार माता को ले जाने की कोशिश की गई तो राजा को माता के रौद्र रूप का सामना करना पड़ा। राजा लक्ष्मण सेन अपनी गलती का पछतावा करने खुद दंडवत होकर माता से माफी मांगने मंदिर पहुंचा था।
मशीनी युग के इस दौर में भी चिंडी माता के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था पहले जैसी ही कायम है।
मंदिर में निःसंतान दम्पत्तियों से लेकर बीमारी से मुक्ति पाने की कामना से आने वालों की संख्या सबसे अधिक है। जिनकी मनोकामना पूर्ण होती है, वे माता का आभार प्रकट करने के लिए भंडारे लगाते हैं।
चिंडी माता की प्रतिमा को साल में दो बार और तीसरे साल में तीन बार ही मंदिर से बाहर लाया जाता है। माता का मेला हर साल 2 से 4 अगस्त को चंकरंठ नामक स्थान पर लगता है। उस दौरान माता तीन दिन के लिए मंदिर से बाहर आती हैं। इसके बाद क्षेत्र में होने वाले करियाला के समय भी माता मंदिर से बाहर आती हैं। हर तीसरे साल - में माता तीन बार मंदिर से बाहर निकलती हैं।
जब भी माता मंदिर से बाहर आती हैं, दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए मंदिर पहुंचते हैं।

जै चिंडी माता
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