वसंत पञ्चमी Basant Panchami या श्रीपंचमी एक हिन्दू त्यौहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन पीले वस्त्र धारण करते हैं।
वसंत पंचमी कब है? बसंत पंचमी तिथि और समय : Basant Panchami Kab Hai 2026
बसंत पंचमी की पंचमी तिथि की शुरुआत 23 जनवरी 2026 को वसंत पंचमी तिथि है। इस वर्ष पंचमी तिथि 23 जनवरी 2026 को सुबह 02:28 बजे से शुरू होकर 24 जनवरी 2026 को सुबह 01:46 बजे तक रहेगी।
जैसे-जैसे हम उत्सव के करीब आ रहे हैं, यहां कुछ विवरण दिए गए हैं जिन्हें हमें अवश्य जानना चाहिए।
यह वर्ष का उत्सव का समय है। हर साल बसंत पंचमी Basant Panchami पूरे देश में बहुत धूमधाम और भव्यता के साथ मनाई जाती है। बसंत पंचमी Basant Panchami, जिसे भारत के कई राज्यों में सरस्वती पूजा के रूप में भी जाना जाता है, देवी सरस्वती की पूजा को समर्पित है। देवी सरस्वती ज्ञान, शिक्षा और सूचना की देवी हैं। ऐसा माना जाता है कि समर्पण और भक्ति के साथ उनकी प्रार्थना करके, हम ज्ञान के मार्ग को रोशन करने में मदद कर सकते हैं। देवी सरस्वती कला, प्रौद्योगिकी, संगीत और नृत्य की भी देवी हैं। जो लोग इन क्षेत्रों में चमकने के लिए समर्पित हैं वे देवी से आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि Basant Panchami बसंत पंचमी के इस शुभ दिन पर देवी से प्रार्थना करने से हमें सुस्ती और सुस्ती से छुटकारा पाने और समर्पण के साथ कला रूपों का पता लगाने में मदद मिल सकती है। स्कूलों और कॉलेजों में सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है.
भारत की प्राकृतिक शोभा ऋतु राज 'बसन्त' भारत की प्राकृतिक शोभा को बसन्त ऋतु सुहावनी, अद्भुत और ज्यादा आकर्षक बना देती है जिसके कारण इस ऋतु को 'ऋतु राज' भी कहा जाता है। मन में उमंग भर देने वाली इस ऋतु में पौधों, वृक्षों पर नए-नए पत्ते निकलते हैं और सुंदर-सुंदर फूलों से वाटिकाओं में नव जीवन आ जाता है। रंग-बिरंगी तितलियां फूलों पर चहकती नजर आती हैं। चम्पा, चमेली, गुलाब और अन्य फूल वातावरण में अपनी महक से यौवन भर देते हैं।
बसंत का आगमन प्राणियों में स्फूर्ति ला देता है और मौसम भी सर्दी के जाने की सूचना देता है इसीलिए कहते हैं - 'आई बसंत पाला उड़न्त'। हर ओर नवीनता, उत्साह और स्फूर्ति दिखाई देती है। इस ऋतु में नए रक्त का संचार होता है और इन दिनों में सुबह सैर करने का स्वास्थ्य को सबसे ज्यादा लाभ मिलता है।
रिवाज Rituals :
Basant Panchami बसंत पंचमी के दिन भक्त जल्दी उठते हैं और स्नान करते हैं। वे दिन का उपवास भी रखते हैं। फिर वे देवी सरस्वती की मूर्ति को एक स्टूल पर रखते हैं और उसे फूलों और मालाओं से सजाते हैं। देवी को फल और मिठाइयाँ अर्पित की जाती हैं। छात्र देवी का आशीर्वाद पाने के लिए अपनी किताबें और उपकरण पूजा क्षेत्र में रखते हैं। देवी से प्रार्थना करने के बाद, भक्त उपवास तोड़ने के लिए प्रसाद खाते हैं। अक्षर-अभ्यासम या विद्या-आरंभम या प्रसन्नम शिक्षा आरंभ करने का एक अनुष्ठान है यह Basant Panchami बसंत पंचमी के दौरान किए जाने के लिए प्रसिद्ध है।
मां सरस्वती जी का जन्म दिवस
बसंत पंचमी को ही विद्या और कला की देवी मां सरस्वती का प्राकट्य दिवस भी मनाया जाता है। मां सरस्वती के बारे में कहते हैं कि जब भगवान ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु जी से आज्ञा पाकर सृष्टि की रचना करते समय मनुष्य और जीव-जंतु योनि की रचना की तो सामने बिल्कुल सन्नाटा पाया तो उन्होंने अपने कमण्डल में से कुछ जल लेकर कमल के फूल पर छिड़का जिससे श्वेत वस्त्र धारण किए 4 हाथों वाली एक सुंदर स्त्री, जिसके एक हाथ में वीणा थी तथा दूसरा हाथ वरमुद्रा में था तथा अन्य दोनों हाथों में पुस्तक और माला थी, प्रकट हुई तो ब्रह्मा जी ने उसे वीणा बजाकर इस सृष्टि की चुप्पी और सन्नाटें को तोड़ने को कहा। ब्रह्मा जी की आज्ञा पाकर उस देवी ने इस सृष्टि में वीणा का मधुर नाद किया जिस पर संसार के समस्त जीव-जंतुओं में वाणी व जलधारा कोलाहल करने लगी तथा हवा सरसराहट करने लगी। तब ब्रह्माजी ने उस देवी को 'वाणी की देवी सरस्वती' का नाम दिया।
मां सरस्वती को 'बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादिनी और वाग्देवी आदि कई नामों से भी जाना जाता है। ब्रह्माजी ने माता सरस्वती की उत्पत्ति बसंत पंचमी के दिन की थी, यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष बसंत पंचमी के दिन को ही देवी सरस्वती का जन्मदिन मानकर पूजा-अर्चना की जाती है।
सतगुरु राम सिंह
स्वतंत्रता संग्राम की अलख जगाकर नई शक्ति और स्फूर्ति का संचार कर स्वतंत्रता के लिए लड़ने को प्रेरित करने वाले नामधारी सतगुरु राम सिह जी का जन्मदिन भी बसंत पंचमी को ही मनाया जाता है। इस महान आत्मा का जन्म 3 फरवरी, 1816 को बसंत पंचमी के दिन पंजाब के लुधियाना के पास गांव भैणी में हुआ। इन्होंने बड़े होकर अपने तप, संयम और विश्वास से घर-घर, गांव-गांव जाकर स्वतंत्रता का बीज बोया। अंग्रेजों के डर और अत्याचार से घरों में दुबक कर बैठे हिन्दू समाज में जागृति और स्फूर्ति पैदा कर आजादी का बिगुल बजाया और देश की आजादी के लिए लड़ने वाले नौजवान तैयार किए।
सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
प्रख्यात कवि तथा लेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' की जयंती भी बसंत पंचमी को ही मनाई जाती है। बंगाल की महिषादल रियासत जिला मेदिनीपुर में 21. फरवरी, 1899 को मंगलवार को उनका जन्म हुआ था। बसंत पंचमी पर उनका जन्मदिन मनाने की परम्परा 1930 में प्रारंभ हुई। उनके पिता पंडित रामसहाय तिवारी उन्नाव (बैसवाड़ा) के रहने वाले थे और महिषादल में सिपाही की नौकरी करते थे। वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के गढ़ाकोला नामक गांव के निवासी थे।
FAQs
Q. बसंत पंचमी का महत्व क्या है? basant panchamee ka mahatv kya hai?
Ans. धार्मिक वेद एवं पुराणों में बसंत पंचमी पर्व के महत्व के विषय में विस्तार से बताया है। बता दें कि भारत में छह मुख्य ऋतू हैं, जिनमें से बसंत ऋतू को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन ही भगवान ब्रह्मा जी के जिह्वा से वाणी, ज्ञान और बुद्धि की देवी माता सरस्वती प्रकट हुई थीं।
Q. क्यों मनाई जाती है बसंत पंचमी? basant panchamee kyon manaee jaatee hai?
Ans. इस ऋतु में खेतों में फूल खिलने लगते हैं, फसलें लहलहा उठती हैं और हर जगह हरियाली के रूप में खुशहाली नजर आती है.
Q. बसंत पंचमी मनाने के पीछे क्या कारण है? basant panchamee ke peechhe kya kaaran hai?
Ans. सिखों के लिए में बसंत पंचमी के दिन का बहुत महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिन्द सिंह जी का विवाह हुआ था।Q. बसंत पंचमी पर हमें क्या करना चाहिए? basant panchamee par hamen kya karana chaahie?
Ans. लोग पीले (सफ़ेद) कपड़े पहनकर, मीठे व्यंजन खाकर और घरों में पीले फूल दिखाकर इस दिन को मनाते हैं। राजस्थान में लोगों द्वारा चमेली की माला पहनने की प्रथा है। महाराष्ट्र में, नवविवाहित जोड़े शादी के बाद पहली बसंत पंचमी पर मंदिर जाते हैं और पूजा करते हैं।
Q. बसंत पंचमी के दिन क्या खाना चाहिए? Basant Panchamee ke din kya khaana chaahie?
Q.बसंत पंचमी के दिन क्या करें और क्या ना करें? basant panchamee ke din kya karen aur kya na karen?
Ans. वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की आराधना की जाती है । इस दिन बिना स्नान किए किसी भी चीज का सेवन न करें। स्नान आदि करने के बाद मां सरस्वती की पूजा करने के बाद ही कुछ ग्रहण करें।Q. बसंत पंचमी को क्या खरीदना चाहिए? basant panchami ko kya kharidna chahiye
Ans. ऐसे में इस दिन विवाह से संबंधित सामग्री, शादी का जोड़ा, आभूषण, सुहाग का समान खरीदने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है. सरस्वती माता को स्वर की देवी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन छोटा सा वाद्य यंत्र (वीणा) घर लाएं और मां सरस्वती को अर्पित करें.
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