खजूर ऊष्ण जलवायु एवं मरुस्थली प्रदेशों में बहुतायत से पैदा होता है। खजूर को पेड़ पर पकने के लिए तेज व कड़ी धूप की आवश्यकता होती है। खजूर का उत्पत्ति स्थल सुलेमान नामक देश (अरब) माना गया है जिससे इसे सुलेमानी भी कहा जाता है। इसके फल छुहारा या खजूर कहलाते हैं। पूरी तरह से पके, गीले दलदार फल को खजूर व अधपके सूखे फल को छुहारा कहते हैं।

खजूर पोटाशियम, लौह, कैल्शियम आदि खनिजों से भरपूर होता है। खजूर सभी धातुओं को पुष्ट करता है, इसलिए इसका सेवन अत्यंत लाभदायक होता है। सबसे गुणकारी बात तो यह है कि इसके खाने से डायबिटीज नहीं होती। खजूर जहां शरीर में रक्त की कमी व थकावट को दूर करती है, वहीं कफ निःसारक व क्षयरोग में भी इसका उपयोग हितकारी है।
नेत्र व्याधि व रोशनी कम होने पर खजूर के बीजों के पेस्ट का पलकों के ऊपर लेपन करने से एक माह के भीतर लाभ मिल जाता है।
स्नायविक क्षीणता होने पर बकरी के 200 ग्राम दूध में 30 ग्राम खजूर रात भर भिगोकर प्रातः इसी दूध में खजूरों को पीसकर मधु (शहद) तथा छोटी इलायची का चूर्ण मिलाकर सेवन करें। रक्त में वृद्धि के साथ-साथ चित्त भी प्रसन्न रहता है।
शीघ्र पतन और पतले वीर्य वालों को प्रातः 3 छुहारे नित्य खाने से शुक्राणु पुष्ट व वीर्य गाढ़ा होगा। खांसी होने पर खजूर, छोटी पीपल व शहद को बराबर लेकर महीन कर लें व प्रतिदिन सार्य गाय के दूध के साथ 20 ग्राम सेवन करें। इससे साधारण खांसी, पुरानी काली खांसी, तपेदिक की खांसी तथा दमा में विशेष लाभ मिलता है। कब्ज के रोगी रात में 4 नग छुहारे भैंस के दूध में उबालकर खाएं तो कब्ज फौरन दूर हो जाती हैं।
छोटे बच्चों को बिस्तर में पेशाब करने की आम शिकायत में उन्हें नित्य रात में कुछ दिन 2 छुहारे (सूखा खजूर) खिलाएं, बड़े व्यक्ति को भी यदि बार-बार पेशाब उतरता है तो दिन में दो बार छुहारे खिलाएं। शरीर में मोटापा लाने के लिए 2 छुआरे का चूर्ण दूध में उबालकर उसमें 2-3 चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर पिएं, इससे मांस में वृद्धि होती है।
कैल्शियम की कमी से होने वाले रोग, हड्डियों की कमजोरी व दांतों को गलने से रोकने के लिए रात्रि में दो छुहारे खाकर दूध पीने से लाभ मिलता है।
खजूर का सेवन करते समय ध्यान रखने योग्य बात यह भी है कि छुहारे व खजूर 4-5 से ज्यादा एक बार में न खाए जाएं, अन्यथा इससे शरीर में अनावश्यक गर्मी बढ़ सकती है।
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