तब से आज तक समस्त भारतवासी यह प्रकाश- पर्व हर्ष एवं उल्लास से मनाते हैं। दीपावली की रात्रि को दीपमालाओं का दृश्य देखकर हर कोई हर्षोल्लास से भर जाता है। दीपावली पर्व का मूल भाव है आसुरी भावों अर्थात नकारात्मक शक्तियों का नाश ।

गोवर्धन पूजा कब होती है ? Govardhan Puja Kab hai? गोवर्धन पूजा / अन्नकूट
दीपावली Deepawali से अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं।गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। एक कथा के अनुसार, जब भगवान श्री कृष्ण Shri Krishna ने ब्रजवासियों से इंद्र की बजाय गोवर्धन की पूजा करने को कहा, तो इन्द्र ने अहंकारवश इसे अपना अपमान समझा और मूसलाधार वर्षा आरंभ कर दी। भगवान श्री कृष्ण Shri Krishna ने ब्रजवासियों को इन्द्र द्वारा की गई मूसलधार वर्षा से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर धारण किए रखा और गोप-गोपिकाएं. उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे।अपने इस कृत्य से इन्द्र अत्यंत लज्जित हुए और भगवान गोविन्द से कहा कि प्रभु मैं आपको पहचान न सका, इसलिए अहंकारवश भूल कर बैठा। आप दयालु हैं और कृपालु भी, इसलिए मेरी भूल क्षमा करें। इसके पश्चात देवराज इन्द्र ने मुरलीधर की पूजा कर उन्हें भोग लगाया।
सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा। दीपावली पर्व पूरे वर्ष भर के लिए भारतीय जनमानस के हृदयपटल पर अमिट छाप छोड़ जाता है। भारत ही नहीं, विदेशों में बसे भारतीय भी इस पर्व को श्रद्धा एवं हर्षोल्लास से मनाते हैं। भारत की सांस्कृतिक राष्ट्रीय एकता को समर्पित तथा सामाजिक समरसता से पूर्ण यह त्यौहार पर्वों का मुकुट मणि त्यौहार है, जिसकी प्रतीक्षा पूरे देशवासियों को वर्ष भर रहती है । भारत वर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में पर्वों के समूह दीपावली पर्व का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्व है।
2024 में दीपावली कब है? Deepawali Kab Hai
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