Maa Katyayani Mantra | माता कात्यायनी मंत्र
कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।
हमारे देश में एक से बढ़ कर एक मंदिर हैं। ऐसे मंदिरों की भी कमी नहीं है, जिनसे ऐसे रहस्य जुड़े हैं, जो किसी की भी समझ से परे हैं। उत्तराखंड के अल्मोड़ा के एक मंदिर के रहस्य से तो अमरीकी अंतरिक्ष एजैंसी नासा के वैज्ञानिक भी हैरान हैं।
दरअसल, कसार देवी मंदिर एक अनोखी चुम्बकीय शक्ति के लिए लोकप्रिय है, जिसके बारे में खोजबीन करने के लिए अक्सर वैज्ञानिक आते रहते हैं।

माता कात्यायनी पौराणिक मान्यताएं
मंदिर से जुड़ी पौराणिक मान्यताओं की बात करें तो कहा जाता है कि माता कात्यायनी इस मंदिर में साक्षात अवतरित हुई थीं। स्थानीय पुजारियों के अनुसार, शुम्भ-निशुम्भ राक्षसों का वध करने के लिए ही माता ने कसार देवी में कात्यायनी रूप में अवतार लिया था। मंदिर में देवी के दर्शन करने के लिए हर नवरात्रि में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। यहां अखंड ज्योति है जो वर्षों से प्रज्वलित है।
मंदिर परिसर में एक हवन कुंड भी है, जिसमें लकड़ियां जलती रहती हैं। मान्यता है कि इसकी भभूत से लोगों की परेशानियां दूर हो जाती हैं।
माता कात्यायनी के मंदिर का इतिहास
माना जाता है कि यह मंदिर दूसरी शताब्दी में बनाया गया था। यह वह जगह है जहां वर्ष 1890 में स्वामी विवेकानंद ध्यान- मनन के लिए कुछ महीनों के लिए आए थे। यहां स्वामी विवेकानंद से जुड़ी एक गुफा भी है, जहां लोग ध्यान लगाते हैं। स्वामी विवेकानंद को यह जगह इतनी पसंद आई थी कि उन्होंने अपने लेखन में इसका जिक्र भी किया था।
इसी तरह बौद्ध गुरु लामा अंगरिका गोविंदा ने भी गुफा में रहकर विशेष साधना की थी। अनूठी मानसिक शांति मिलने के कारण आज यहां देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। बहुत से समय के साथ यह जगह दुनिया भर में इतनी लोकप्रिय हुई कि यहां बॉब डायलन, जॉर्ज हैरिसन, कैट स्टीवंस, एलन गिन्सबर्ग और टिमोथी लेरी जैसे कुछ प्रसिद्ध विदेशी आ चुके हैं। 1970 के दशक में हिप्पी संस्कृति के दशक में तो यह जगह 'हिप्पी हिल' ही बन गई थी।
चुम्बकीय शक्ति
इस क्षेत्र के आसपास लोगों को मानसिक शांति का अद्भुत अनुभव होता है। कहा जाता है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि यह दुनिया की उन चुनिंदा जगहों में से एक है जहां मैग्नेटिक एनर्जी यानी चुम्बकीय शक्ति पाई जाती है। यही वजह है कि यह एक ऐसी बल्कि इसका वैज्ञानिक महत्व भी है।
विदेशी वैज्ञानिक कहते हैं कि कसार देवी मंदिर के आसपास धरती के अंदर 'जायंट ज्योमैग्नेटिक फील्ड' यानी बड़े- बड़े भू-चुंबकीय क्षेत्र हैं।
उनके अनुसार यह क्षेत्र' वैन एलेन बैल्ट' है, जिस वजह से यहां धरती के अंदर भू- चुंबकीय पिंड हैं। मंदिर से जुड़ी चुम्बकीय शक्तियों का पता लगाने के लिए यहां नासा के वैज्ञानिक भी आ चुके हैं। मंदिर परिसर में 'जी.पी.एस. 8 केंद्र' चिह्नित किया गया है, इसको लेकर नासा ने ग्रैविटी प्वॉइंट के बारे में बताया था । प्रमुख मंदिर के द्वार के बाईं ओर नासा ने यह स्थान चिन्हित किया है।
मंदिर के मैग्नेटिक एनर्जी से चार्ज होने के कारणों और प्रभावों पर शोध जारी है लेकिन अब तक वैज्ञानिक इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं जुटा सके हैं।
माता कात्यायनी मेले का आयोजन
मंदिर में हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दौरान कसार मेला लगाया जाता है, जिसमें हजारों-लाखों लोग हिस्सा लेते हैं।
पर्यटक कुदरत के बीच शांति पाने के लिए आसपास के गांवों में भी जा सकते हैं। यही नहीं, यह जगह 'बिनसर वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी' के काफी पास है, जहां आप हर प्रजाति के पक्षियों को देख सकते हैं।
कैसे पहुंचें माता कात्यायनी मंदिर
देहरादून का पंतनगर हवाई अड्डा कसार देवी के सबसे नजदीक है, जो 124 किलोमीटर दूर है। कसार देवी का निकटवर्ती रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जो मंदिर से 88 किलोमीटर की दूरी पर है।
कसार देवी अल्मोड़ा से केवल 8 किलोमीटर दूर है, जो सड़क के रास्ते प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
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