एक दिन, एक लड़का, महात्मा गांधी के पास आया और बोला, "गांधी जी, मुझे भी अपने साथ काम करने का मौका दीजिए मैं भी देश की सेवा करना चाहता हूं"
उस लड़के को गांधी जी ने देखा और बोले, "ठीक है। मैं अभी चरखा चला रहा हूं तो तुम इस सूत को इकट्ठा करदो।"
इसके बाद लड़के ने सूत को इकट्ठा कर दिया। सूत को इकट्ठा होने के बाद गांधी जी ने कहा कि कुछ बर्तन भी रखे हुए हैं उन्हें भी ठीक से साफ कर दीजिये । उस लड़के ने बर्तन भी साफ़ कर दिया। इसके बाद गांधी जी ने लड़के को आश्रम में सफाई करने का काम सौंप दिया।
इस तरह गांधी जी अब उस लड़के से रोज छोटे-मोटे काम कराने लगे। कुछ दिन बीत जाने के बाद उस लड़के को अब ये सारे काम अच्छे नहीं लग रहे थे। एक दिन लड़के ने गांधी जी से कहा, "मैं यहां अब नहीं रुक सकता मैं अब जा रहा हूं।" गांधी जी ने लड़के से पूछा कि वह वहां से क्यों जा रहा है ? लड़के ने जवाब दिया, "मैं अच्छे परिवार से और पढ़ा-लिखा हूं यह जो काम आप मुझसे करवाते हैं ये सारे काम मेरे लिए नहीं हैं। "
गांधी जी ने शांति से उस लड़के की बात सुनी और उसे समझाते हुए कहा, "मैं तो तुम्हारी परीक्षा ले रहा था और जो लोग देश सेवा करना चाहते हैं" उनके लिए सारे काम एक जैसे होते हैं। सेवा करने वाले व्यक्ति के लिए कोई भी काम छोटा- बड़ा नहीं होता है। सेवाभावी सिर्फ सेवा करता है।"

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