Stay Fit Mom: कुदरत ने मां के दूध के रूप में शिशुओं को जो वरदान दिया है, उसका न कोई जोड़ है, न ही विकल्प। यह शिशु का प्राकृतिक आहार है जो सम्पूर्ण, सुरक्षित, प्रदूषण रहित, शीघ्र पचने वाला होता है। स्तनपान करने वाले बच्चों को मल्टी विटामिन, विटामिन सी और ई आदि के ड्राप्स की जरूरत नहीं पड़ती। मां का दूध डिब्बाबंद दूध के मुकाबले जल्दी और आसानी से पचता है। इसकी गुणवत्ता पर दुनिया भर में अब तक जो शोध अध्ययन हुए हैं, उनका निष्कर्ष यही है कि इस दूध का दूसरा कोई विकल्प नहीं ।
आज कई महिलाएं आधुनिक व सुंदर दिखने के चक्कर में नवजन्मी संतानों को स्तनपान करवाने की बजाय बोतलों से दूध पिलाकर न केवल शारीरिक पोषण व विकास के लिए जरूरी पौष्टिक तत्व से वंचित कर रही हैं, बल्कि उनके जीवन व स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ भी कर रही हैं। इसलिए मां को इन सब बातों के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल '1 से 7 अगस्त तक 'वर्ल्ड ब्रैस्टफीडिंग वीक' मनाया जाता है।
आत्मीयता का प्रभाव : शोधकर्त्ताओं के अनुसार मां जब बच्चे को दूध पिलाती है तो उससे विशिष्ट आनंद की अनुभूति होती है। मां दूध पिलाते समय बच्चे को दुलारती भी है। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा करने से मां और बच्चे के मध्य भावनात्मक रिश्ता मजबूत होता है।
जीवनरक्षक है कोलोस्ट्रम
डिलीवरी के तुरंत बाद आने वाली फीड को कोलोस्ट्रम कहते हैं। यह गाढ़ा, चिपचिपा और पीला दूध डिलीवरी से दो-तीन दिन पहले ही तैयार होता है। यह बच्चे के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
बच्चे को लाभ
जन्म से लेकर 4 से 6 महीने तक मां के दूध से बच्चे को वह सब मिलता है, जिसकी उसको जरूरत होती है। मां 'का. दूध बच्चे को छोटी-मोटी बीमारियों से लेकर इंफैक्शन से बचाता है। मां का दूध पीने वाले बच्चे ज्यादा बुद्धिमान होते हैं।

जो बच्चे मां का दूध पीते हैं उनमें आगे चल कर मधुमेह, लिम्फोमा और एनीमिया जैसी कई बीमारियों के होने की सम्भावना काफी कम हो जाती है। मां के दूध में जो प्रोटीन पाया जाता 'है, वह सहजता से पच जाता है।
मां को लाभ
ब्रेस्टफीड करवाने से बच्चे को तो लाभ होता ही है, मां को भी फायदा मिलता है। स्तनपान से गर्भकाल में वजन तेजी से घटता है क्योंकि दूध के साथ कैलोरी, वसा भी निकलते हैं। वे माताएं, जो शिशु को जन्म के पश्चात सामान्य रूप से स्तनपान करवाती हैं, उनमें लम्बे समय तक दोबारा गर्भधारण से बचे रहने की संभावना स्तनपान न करवाने वाली माताओं की तुलना में अधिक होती है।
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स्तनपान करवाने से गर्भाशय तेजी से संकुचित होता है और प्रसव के पश्चात शीघ्र पूर्व आकार में आ जाता है। इन माताओं को भविष्य में हाई ब्लड प्रैशर, हृदय संबंधी बीमारियों से लेकर ब्रैस्ट कैंसर और ओवेरियन कैंसर की संभावना कम हो जाती है।
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