'पर्वतधारी' हनुमान जी Hanuman Ji Parvat Uthate Hue Photo; मकरी अप्सरा का उद्धार और कालनेमि का वध करके हनुमान जी Hanuman Ji अति शीघ्र ही ऋषभ और कैलाश पर्वत के बीच स्थित प्रसिद्ध द्रोणाचल के शिखर पर जा पहुंचे ।
उस पर्वत पर अनेक प्रकार की औषधियां जगमगा रही थीं, जिनकी चमक से उस पर्वत की अनुपम छटा बरबस ही मन को अपनी ओर आकर्षित कर रही थी।
उस पर बड़े-बड़े सर्प, भालू, हाथी, सिंह आदि सुखपूर्वक निवास करते थे तथा वहां यक्ष, किन्नर, गंधर्व तथा बहुत से देवताओं का वास था। महर्षि, मुनि, तपस्वी और सिद्धगण उसकी कन्दराओं में दिन-रात ईश्वर की आराधना- उपासना में लगे रहते थे।
उस विशाल पर्वत पर पहुंच कर हनुमान जी Hanuman Ji ने वैद्य सुषेण द्वारा बताई गई संजीवनी औषधि प्राप्त करने के लिए। चारों ओर दृष्टि दौड़ाई परन्तु संजीवनी नामक औषधि कौन-सी है, यह समझ पाना उनके लिए बहुत ही कठिन हो रहा था। बहुत समय तक औषधि की तलाश में हनुमान जी Hanuman Ji उस पर्वत पर इधर- उधर भटकते रहे परन्तु ऐसा लगता था जैसे उस उत्तम पर्वत पर रहने वाली उस दिव्य औषधि ने अपने आप को अदृश्य कर लिया हो।
इधर रात्रि तेजी से बीत रही थी। सुबह होने के पहले ही उन्हें औषधि लेकर भगवान श्री रामचंद्र जी के पास लंका पहुंच जाना था। यदि वह ऐसा नहीं कर पाते तो लक्ष्मण जी के प्राण किसी प्रकार बचाए नहीं जा सकते। भगवान श्री रामचंद्र जी समेत सबकी आशाएं इस समय उन पर ही टिकी हुई थीं।
Hanuman ji parvat uthate hue photo
यह सोचकर उन्होंने तुरंत ही खेल-खेल में उस पूरे पर्वत को उखाड़ कर अपने दाहिने हाथ की हथेली पर रख लिया। वेग से उखाड़े जाने के कारण वह पर्वत कांप उठा तथा उसकी बहुत-सी चोटियां इधर-उधर गिरकर बिखर गईं। हनुमान जी Hanuman Ji वायु वेग से लंका की ओर उड़ चले।
महावीर हनुमान Hanuman Ji के इस अद्भुत कार्य . को देखकर देव, दानव, यक्ष, किन्नर, गन्धर्व सभी को बड़ा विस्मय हुआ। सभी उनके इस कृत्य की भूरि-भूरि सराहना करने लगे।
रात्रि के उस घने अंधकार में हाथ में जगमगाता हुआ द्रोणाचल तथा अति तीव्र गति से उड़ते हुए हनुमान जी को देखकर ऐसा लगता था जैसे आकाश में प्रकाश की एक रेखा खिचती चली जा रही है।
पर्वतरूपधारी महावीर हनुमान जी hanuman ji parvat uthate hue का यह स्वरूप सभी प्रकार से हमारा मंगल करने वाला है। इस रूप की उपासना और ध्यान से मनुष्य के बड़े से बड़े कष्ट और संकट अनायास ही दूर हो जाते हैं। वह सभी आपदाओं पर विजय प्राप्त कर लेता है। हमें रामदूत पवनपुत्र हनुमान जी के इस स्वरूप का निरंतर ध्यान करना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य सुंदरमणि, उत्तरकाशी
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