सावन Sawan एक हरा-भरा महीना है। इस वक्त प्रकृति भी शृंगार करती है। वहीं यह भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना भी है। सावन के महीने में कई पर्व मनाए जाते हैं, जिनमें से तीज भी एक है। इस महीने में मनाए जाने वाले तीज पर्व को हरियाली तीज Hariyali Teej के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन महिलाओं के लिए इसलिए भी खास माना जाता है, क्योंकि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कठोर तपस्या के बाद माता पार्वती का विवाह भगवान शंकर के साथ इसी दिन हुआ था। उसके बाद से ही पति की लंबी उम्र की कामना करने के लिए यह पर्व ( हरियाली तीज Hariyali Teej ) मनाया जाने लगा। कई स्थानों पर इस दिन भाई अपनी बहनों के यहां सिंधारा लेकर जाते हैं और उन्हें ससुराल से मायके लेकर आते हैं। हरियाली तीज Hariyali Teej के दिन का महिलाओं को पूरे साल इंतजार रहता है, जब वे हरे रंग के वस्त्र पहनकर सोलह श्रृंगार करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन अगर सोलह श्रृंगार करना संभव न हो तो कम से कम तीन श्रृंगार तो जरूर करना चाहिए। इसमें मेहंदी, चूड़ी और बिंदी शामिल है। ऐसी मान्यता है कि हरियाली तीज Hariyali Teej के दिन संपूर्ण श्रृंगार करने से माता पार्वती प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर आशीर्वाद बरसाती हैं।
हरियाली तीज Hariyali Teej पर्व पर किए जाने वाले शृंगारों Shringar का अपना एक अलग महत्व होता है। मेहंदी की तासीर ठंडी होती है। इसको हाथों पर लगाने से मन और शरीर ठंडा रहता है। साथ ही ऐसा भी कहा जाता है कि मेहंदी लगाने से चर्म रोग दूर होते हैं। काजल आंखों की खूबसूरती बढ़ाने के साथ उन्हें ठंडक भी देता है। इसके अलावा महिलाएं मंगलसूत्र, कमरबंद, मांगटीका, पैरों में बिछिया और बालों में गजरा भी लगाती हैं। हरियाली तीज का त्योहार भारत के कुछ राज्यों, जैसे कि राजस्थान, पंजाब, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। कई जगहों पर महिलाएं शृंगार करने के बाद तीज के गीत गाते हुए झूले भी झूलती हैं।
Hariyali Teej | हरियाली तीज
हरियाली तीज क्यों मनाते है Why Hariyali Teej is Celebrated ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार पति की लंबी उम्र के लिए हरियाली तीज का व्रत रखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इसी दिन मां पार्वती का कठोर तपस्या के बाद विवाह भगवान शंकर से हुआ था.
हरियाली तीज Hariyali Teej नवविवाहित स्त्रियों द्वारा पति की लम्बी आयु के लिए किया जाने वाला व्रत है। तीज तीन प्रकार की होती है। हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज, परंतु इन तीनों तीजों में काफी अंतर है और अलग-अलग ढंग से पूजा की जाती है ।
कजरी तीज में सभी विवाहित औरतें इकट्ठी होकर नीम के पेड़ की पूजा करती हैं और खुशी के गीत गाती हैं। दूध-दही और फलों के साथ कजरी तीज की पूजा की जाती है।
हरतालिका तीज में हर महिला उपवास रखती है जो लगातार तीन दिन तक चलता है। दूसरे दिन के व्रत में पानी तक भी नहीं पिया जाता।
हरियाली तीज Hariyali Teej इन सभी तीजों में औरतें बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाती हैं यह त्यौहार ब्रज क्षेत्र, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब तथा हरियाणा आदि प्रदेशों में विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। ब्रज क्षेत्र में जहां यह तीज कुंवारी कन्याओं का त्यौहार है. तो , राजस्थान में यह कुंवारी कन्याओं एवं सौभाग्यवती महिलाओं दोनों का उत्सव है।
हरियाली तीज Hariyali Teej के विधि-विधान भी जान लें
हरियाली तीज कब है ? Hariyali Teej Kab Hai ? हरियाली तीज जो इस बार 7 अगस्त 2024 को है। हरियाली तीज Hariyali Teej के दिन महिलाएं हरे वस्त्र, हरी-लाल चूड़ियाँ पहनकर श्रृंगार Shringar करती हैं, पकवान बनाकर पूजन के बाद झूला झूलती हैं और लोकगीत गाती हैं। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, विवाहित महिलाएं पहले सावन में मायके चली जाती हैं, लेकिन जो नहीं जा पातीं, वे ससुराल में ही इसे मनाती हैं। तीज त्योहार के उपलक्ष्य में घेवर, फल, मिठाई और कपड़े आदि विवाहित स्त्रियों के मायके से 'सिंधारा' के रूप में आते हैं। आमतौर पर तीज के दिन पूजन विवाहित स्त्रियां ही करती है, लेकिन जिन कन्याओं की शादी होने वाली है, वे भी मनोवांछित वर पाने की चाह में इस व्रत के नियम का पालन कर सकती हैं। इस दिन विवाहित स्त्रियां सवेरे उठकर सास के पैर छूती हैं और पूजन आदि के बाद सास को सुहाग का सारा सामान देती हैं। सुहाग के सामान में साड़ी, बिंदिया, चूड़ियां, सिंदूर, काजल, कधी, शीशा और रिबन आदि होता है। इस दिन सोलह श्रृंगार के बाद महिलाएं भगवान शिव शंकर और मां पार्वती का पूजन करती है और कथा सुनती हैं। पूजा के बाद वे पति के पैर छूकर व्रत तोड़ती हैं।
उत्सव चाहे कोई भी हो, शृंगार जरूरी है। महिलाओं के लिए सोलह श्रृंगार को सोलह प्रकार के सुख माना गया है। कहा जाता है कि तीज के पर्व पर जो स्त्री सोलह श्रृंगार कर गृहलक्ष्मी का रूप धारण करती है, उसके परिवार में हर तरह की सुख-समृद्धि आती है।
हरियाली तीज ( Hariyali Teej ) के सोलह श्रृंगार Solah Shringar
आकाश के नक्षत्रों और ग्रहों की स्थिति के अनुसार व्रत पर्व और त्योहारों का धरती के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए हमारे पूर्वजों ने जनमानस को समय-समय पर इन उत्सवों में सम्मिलित होने का विधान बनाया है, ताकि मनुष्य जीवन और घर-परिवार में सुख-शांति का संचार हो सके। सावन में तीज के दिन जो महिलाएं विधि-विधान एवं नियमों का पालन करती हैं, उन्हें देवयोग से सौभाग्य की संजीवनी शक्ति प्राप्त होती है। सोलह श्रृंगार, सोलह संस्कार के साथ सोलह प्रकार के सुख माने गए हैं। मान्यताओं के अनुसार संस्कारवान स्त्री सोलह श्रृंगार से युक्त होने पर सोलह प्रकार के सुख प्राप्त करती है। भारतीय धर्मग्रंथों में बिना शृंगार के स्त्री को अधूरा माना गया है। सावन मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, हरियाली तीज के दिन जो विवाहित स्त्रियां सोलह श्रृंगार कर गृहलक्ष्मी का रूप धारण कर पूजन करती हैं, उनके यहां लक्ष्मी, ऋद्धि-सिद्धि के साथ निवास करती हैं।
पौराणिक कथा Haryali Teej Katha अनुसार सोलह श्रृंगार Solah Shringar का महत्व
सोलह श्रृंगार की प्रथा का प्रारंभ कामदेव और रति के काल से माना जाता है। कहा जाता है कि युवावस्था में रति रूपवती नहीं थीं, इसलिए दुखी रहती थीं । रति को कोई पसंद भी नहीं करता था, इसलिए उन्होंने देवी लक्ष्मी की कठोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया। तब देवी महालक्ष्मी ने रति को सोलह श्रृंगार Solah Shringar का महत्व बताकर आशीर्वाद दिया और बताया कि जो भी स्त्री सोलह शृंगार Solah Shringar से युक्त होकर सजेगी-संवरेगी, उसे सौभाग्य की प्राप्ति होगी। तभी से विवाह आदि उत्सव और तीज त्योहार पर प्रत्येक स्त्री सोलह शृंगार Solah Shringar करती आ रही है। ऋग्वेद में वर्णन है कि सोलह श्रृंगार #SolahShringar न केवल स्त्री को सौंदर्य प्रदान करता है, बल्कि उसके सौभाग्य को बढ़ाता है, इसलिए नई- नवेली दुल्हन और सुहागिन महिलाएं भाग्य वृद्धि के लिए तीज आदि सुअवसरों पर सोलह श्रृंगार करती हैं। सोलह शृंगार Solah Shringar सौंदर्य बढ़ाने के साथ विभिन्न दोषों को भी दूर करता है, जिससे जीवन में संपन्नता आती है। प्रत्येक आभूषण जिसे सोलह श्रृंगार Solah Shringar में स्त्रिय धारण करती है, उसका विशिष्ट महत्व है।
सोलह सिंगार कौन-कौन से होते हैं ? सोलह श्रृंगार सिर से पांव तक Solah Shringar List
पहला श्रृंगार बिंदी
दूसरा सिंदूर
तीसरा काजल
चौथा मेहंदी
पांचवां शादी का जोड़ा
छठा गजरा
सातवां मांग टीका
आठवा नथ
नौवां कर्णफूल
दसवां हार या मंगलसूत्र
ग्यारहवां बाजूबंद
बारहवां कंगन और चूड़ियां
तेरहवां अंगूठी
चौदहवां कमरबंद
पंद्रहवा बिछुआ और
सोलहवां श्रृंगार पायल है।
क्या कहता है विज्ञान सोलह श्रृंगार ( Solah Shringar List ) के बारें में
- बिंदी लगाने से आज्ञाचक्र ऊर्जावान होता है. बिंदी का दबाव मन को सबल बनाता है।
- मांग में सिंदूर इसलिए लगाया जाता है, क्योंकि यह स्थान अमर के ठीक ऊपर है, जिससे सहस्वार चक्र जागृत होकर मन की एकाग्रता में वृद्धि करता है। सिंदूर में मौजूद पारे से महिलाओं का रक्तचाप नियंत्रण में रहता है।
- काजल लगाने से बुरी नजर प्रभावहीन हो जाती है।
- तीज त्योहार पर मेहंदी लगाने से उसका रंग जितना गहरा होता है, पति-पत्नी के बीच प्रेम उतना ही गहरा होता है।
- मंगलसूत्र अमंगल की आशंकाओं से स्त्री के सुहाग की रक्षा करता है और वचनबद्धता एवं सौभाग्य का प्रतीक होने के कारण स्त्री की भावनाओं को स्थिर और नियंत्रित रखने में सहायक होता है।
- नाक में नथ और कान में कर्णफूल पहनने से इन पर पड़ने वाला दबाव एक्यूपंक्चर, एक्यूप्रेशर पॉइंट की भांति कार्य करते हैं।
- हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार, हाथ की उंगलियों के नीचे हथेली पर ग्रहों के पर्वत स्थित होते हैं। धातु अथवा रत्नजड़ित अंगूठी धारण करने से ये पर्वत सबल होकर ग्रहों को नियंत्रित करते हैं।
- हाथ में चूड़ियां पहनने से धातुओं के गुण शरीर में कुशलता से प्रवेश करते हैं।
- इस प्रकार सोलह श्रृंगार के अंतर्गत बाजूबंद, कमरबंद, पायल, बिछुआ आदि आभूषण धारण करने से इनकी धातुओं का प्रभाव शरीर पर पड़ने के कारण स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
- सोलह शृंगार से युक्त विवाहित स्त्री को देवी लक्ष्मी का स्वरूप मानकर गृहलक्ष्मी माना जाता है। सोलह श्रृंगार धारण कर जो स्त्रियां तीज पर्व के दिन साक्षात लक्ष्मी स्वरूपा होकर व्रत को विधि-विधान एवं नियमपूर्वक करती हैं, उन्हें पुण्य प्राप्त होता है और घर में लक्ष्मी का निवास एवं पति की लंबी आयु होती है।

सावन के झूले
वास्तव में झूलों और पींग के बिना सावन फीका ही रहता है। झूला झूलते हुए कजरी गाने का भी रिवाज है। इस महीने में राड़ियां (अर्थात वह कुज्जा जिसका ऊपर वाला भाग टूटा हुआ हो) में गेहूं एवं जौ बीजे जाते थे। तीज मनाने से पहले इन जौ की शाखाओं को पानी में बहाने की रस्म निभाई जाती थी। उसके उपरांत लड़कियां पींगें झूलती तथा इकट्ठी होकर गिद्दा डालती थीं। इस त्यौहार के लिए आमतौर पर रविवार का दिन निश्चित किया जाता था। सावन के महीने में किसी भी रविवार को गांव की लड़कियां, बहुएं तथा बच्चे एकत्रित होकर किसी ऐसे स्थान पर जाते हैं, जहां किसी पीपल, बोहड़ या आम के पेड़ पर पींगें डाली गई हों । इसके बाद घर से लाया गया सामान जैसे पूड़े, दरोपड़ा (अर्थात मोटी मीठी रोटी) आपस में बांटती हुई तीज का त्यौहार मनाती थीं ।
'सावन' में खूबसूरती को चार चांद लगाएगा 'हरा रंग'
हरियाली तीज Hariyali Teej का पर्व भारतीय संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण है। यह पर्व विशेष रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, जो इस दौरान हरे रंग के वस्त्र और आभूषण पहनती हैं। हरा रंग प्रकृति की समृद्धि, ताजगी, और नई शुरूआत का प्रतीक है, जो इस पर्व के महत्व को और बढ़ा देता है।
सावन के दौरान चारों ओर हरियाली ही हरियाली होती है। इसके साथ ही इस रंग को वैवाहिक जीवन से जोड़कर देखा जाता है।
हरा रंग बुध का भी होता है इसलिए हरा रंग पहनने से मन में शांति, तनाव से मुक्ति मिलने के साथ स्फूर्ति में वृद्धि होगी। चलिए जानते हैं हरियाली तीज में आप अपनी लुक को कैसे खास और आकर्षक बना सकती हैं।
हरे रंग की चूड़ियां
हरे रंग की चूड़ियां पहनना हरियाली तीज पर बहुत शुभ माना जाता है। इन्हें आप अपनी पारम्परिक लुक में शामिल कर सकती हैं।
ग्रीन मेकअप
हरे रंग की बिंदी, आईशैडो और नेल- पेंट का इस्तेमाल करके आप अपनी लुक को और भी निखार सकती हैं। इसके अलावा हरे रंग के बैग और फुटवियर भी अच्छे विकल्प हैं।
हरे रंग का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
हरा रंग खेत-खलिहान और हरियाली का प्रतीक है। यह रंग सावन की हरियाली और पेड़ों पर झूलों की याद दिलाता है।
* हरा रंग समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है। इसे पहनने से महिलाओं को सुख- समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।
* माना जाता है कि हरियाली तीज पर हरे रंग के वस्त्र पहनने से मां पार्वती और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
एक्सैसरीज
अगर आपके पास कोई ग्रीन ड्रैस नहीं है, तो ग्रीन ज्वैलरी भी पहन सकती हैं। यह ग्रीन टच आपकी लुक को काफी निखार कर पेश करेगा।
हरे रंग का सूट
हरे रंग के सूट में भी आप एक ग्रेसफुल और स्टाइलिश लुक पा सकती हैं। इसे चूड़ियों और झुमकों के साथ स्टाइल करें।
हरे रंग की साड़ी
हरियाली तीज पर हरे. रंग की साड़ी पहनना पारंपरिक और सुंदर विकल्प है। इसे आप गोल्डन ज्वैलरी और हल्के मेकअप के साथ मैच कर सकती हैं। साड़ियों की खास बात है कि यदि इन्हें शालीनता और सही स्टाइल से पहना जाए तो ये सुंदरता को निखारने में जादू जैसा काम करती हैं।
दुपट्टा
अगर आप हरे रंग का पूरा आऊटफिट नहीं पहनना चाहतीं, तो हरे रंग का दुपट्टा शामिल कर सकती हैं। यह आपकी लुक में एक ट्रैडीशनल टच जोड़ देगा।
लहंगा-चोली
हरे रंग का लहंगा-चौली भी एक बेहतरीन विकल्प है। इसे खास मौके पर पहनकर आप एक रॉयल और ट्रैडीशनल लुक पा सकती हैं।
सावन में अगर आपको कोई फंक्शन अटैंड करना है और आप लाइटवेट लहंगा पहनना चाहती हैं तो ग्रीन कलर की प्रिंटेड लहंगा स्टाइल वाली लॉन्ग स्कर्ट भी चुन सकती हैं।
ग्रीन लहंगे में इस तरह की लुक सुंदर दिखने के साथ ही आपको सबके आकर्षण का केंद्र बना देगी। इसके साथ यदि आप सोलह शृंगार भी कर लेंगी तो कहने ही क्या।
कम बजट में अपनी ड्रैस को खूबसूरत बनाने के लिए लहंगे की जगह आप उसके साथ टीमअप किए जाने वाले दुपट्टे और चोली पर फोकस कर सकती हैं। मिरर, एम्ब्रॉयडेड वर्क चोली को आप ज्यादातर लहंगे के साथ पहन सकती हैं।
Thankyou