अमेरिका के पहले राष्ट्रपति जार्ज वॉशिंगटन को सादगी ही नहीं, वक्त की पाबंदी भी बहुत पसंद थी। वह अपना हर काम नियत समय पर करते और जो ऐसा नहीं करता उसे सही रास्ते पर लाने की कोशिश भी करते थे। उनके नौकर-चाकर भी उनके इस स्वभाव से परिचित थे इसलिए वे भी ठीक समय पर कार्य करने के आदी थे।
उनके राष्ट्रपति बनने के कुछ महीने बीत गए थे, तभी अमरीकी कांग्रेस के चुनाव हुए। चुने गए नए कांग्रेसी सदस्यों को वॉशिंगटन ने अपने आवास पर भोज के लिए आमंत्रित किया। उद्देश्य यह था कि सभी का परस्पर परिचय भी हो जाए और कर्त्तव्यों का निर्धारण भी कर दिया जाए। लेकिन तय समय पर वे सदस्य नहीं पहुंचे। हालांकि उन्हें आने में कुछ ही देर का विलंब हुआ था। मेहमानों ने आकर देखा कि वाशिंगटन भोजन कर रहे हैं। सदस्य हैरत में पड़ गए। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि अतिथियों के आए बगैर राष्ट्रपति भला कैसे भोजन कर रहे हैं।
जॉर्ज वॉशिंगटन ने जब उनके चेहरे पर आश्चर्य का भाव देखा तो बोले, "भाइयो, इसमें आश्चर्य की क्या बात है। मैं सभी कार्य वक्त पर करता हूं। इसलिए मेरा रसोइया कभी यह नहीं देखता कि सब के सब निमंत्रित अतिथि आ गए हैं या नहीं। वह तो निर्धारित समय पर भोजन सामने रख दिया करता है।"
सदस्यों को अपनी गलती का अहसास हुआ। उन्होंने राष्ट्रपति से क्षमा मांगी। वॉशिंगटन ने उन्हें समझाते हुए कहा, "जीवन का प्रत्येक क्षण अमूल्य है, इसलिए अपने कार्य समय पर करें ताकि अच्छे परिणामों की प्राप्ति हो।"
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