दादी और नानी बच्चों की फेवरेट क्यों होती हैं ? वे भले ही एनर्जी के मामले में बच्चों से बहुत कम हों, पर अपनी कहानियों के माध्यम से वे उन्हें एक ऐसी दुनिया में ले जाती हैं, जहां बच्चों की एनर्जी कल्पना लोक में विचरण करने लगती है। उनके सामने कभी अनजानी दुनिया के दरवाजे खुलते हैं, तो कभी अपनी ही दुनिया को नए रंग-ढंग से देखना सीखते हैं। इतना ही नहीं, ये कहानियां उन्हें जाने-अनजाने एक बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करती हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं तीन सकारात्मक प्रभावों की, जो कहानियां सुनने से बच्चों के मन-मस्तिष्क पर पड़ते हैं।
कल्पनाशीलता और उत्सुकता बढ़ती है
जब बच्चे कहानियां सुन रहे होते हैं तो वे केवल सुन नहीं रहे होते, बल्कि अपनी कल्पना में गढ़ी गई एक दुनिया में पहुंच गए होते हैं। आप जिन किरदारों के बारे में उनको बता रहे होते हैं, वे उनके रंग-रूप, आकार-प्रकार की कल्पना कर चुके होते हैं। उनके दिमाग में आपके द्वारा सुनाई जा रही कहानी विजुअल - फॉर्म में चल रही होती है। इस तरह कहानियां सुनाकर आप बच्चों के कल्पनाशील मस्तिष्क में रचनात्मकता के बीज बो रहे होते हैं।
टी.वी. पर बच्चे कहानियां सुनते समय देख भी रहे होते हैं। उनके दिमाग में केवल वही दृश्य चलते हैं, जो स्क्रीन पर दिख रहे होते हैं। इसमें बच्चों की अपनी कोई क्रिएटिविटी नहीं बढ़ती, जबकि कहानियां सुनते समय वे अपने हिसाब से कहानी की दुनिया को गढ़ते हैं। आपकी कहानी से उनकी भावनाएं जुड़ जाती हैं। वे कहानी से जुड़े सवाल आपसे पूछ सकते हैं, इस तरह सवाल पूछना उन्हें जिज्ञासू बनाता है।
दुनिया के बारे में बढ़ती है समझ
भारतीय बच्चों को सुनाई जाने वाली सबसे मशहूर कहानियां पंचतंत्र की होती हैं, जिनमें जंगल के जानवरों के माध्यम से नैतिक शिक्षा दी जाती है। पंचतंत्र के बारे में आपको पता ही होगा कि पढ़ाई में जरा भी रुचि न लेने वाले राजा के बच्चों को नैतिक शिक्षा देने के लिए उनके शिक्षक ने उन्हें कहानियों के माध्यम से जीवन के कई गहरे और जरूरी मूल्य सिखाए थे।
कहानियां सुनने के बाद बच्चे न केवल भाषा और उसके इस्तेमाल के तरीके सीखेंगे, बल्कि साथ ही अलग-अलग रिश्तों, परंपराओं और संस्कृतियों के बारे में भी सीखेंगे। एक अच्छा विद्यार्थी, अच्छा मित्र, अच्छी संतान या अच्छा इंसान बनने की जरूरत क्यों होती है, इन काल्पनिक कहानियों के माध्यम से बच्चे अपने आप सीख जाएंगे।
चीजों पर फोकस करना सीखते हैं
एनर्जी से भरे बच्चे एक जगह पर टिककर बैठ ही नहीं सकते। वे यहां-वहां कूदते-फांदते ही रहते हैं या घर के दूसरे लोगों का अटेंशन पाने के लिए तरह-तरह की हरकतें करते रहते हैं। हम कह सकते हैं कि जिज्ञासा से भरा उनका दिमाग हमेशा कुछ न कुछ सोचता रहता है, जिसके चलते वे एक जगह पर फोकस नहीं कर पाते। बच्चे कहानियां सुनते हैं तो चीजों और घटनाओं को एक के साथ एक जोड़कर देखना शुरू करते हैं।
वे चीजों पर फोकस करते हैं तो उनका कॉन्सैट्रेशन बढ़ता है। जो बच्चे ज्यादा कहानियां सुनते हैं, वे पढ़ाई लिखाई के मामले में उन बच्चों से अच्छे होते हैं, जो प कहानियां सुनने की बजाय टी.वी. देखने या मोबाइल/कम्प्यूटर पर गेम खेलने में ज्यादा वक्त बिताते हैं। कहानियां सुनने में रुचि रखने वाले बच्चे पढ़ना भी जल्दी सीखते हैं, क्योंकि उन्हें और कहानियों के बारे में जानना होता है।
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