1857 की पहली स्वतंत्रता क्रांति की जब भी चर्चा होती है, उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में स्थित 'बावनी इमली' (Bawani Imli Fatehpur) का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है। यह ऐतिहासिक इमली का पेड़ उन 52 वीर क्रांतिकारियों की शहादत का साक्षी है, जिन्हें अंग्रेजों ने एक साथ फांसी पर लटका दिया था।
बावनी इमली का इतिहास (History of Bawani Imli Tree)
28 अप्रैल 1858 को, फतेहपुर के खजुहा कस्बे में स्थित इस इमली के पेड़ पर, अंग्रेज अफसरों ने क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए 52 स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी पर चढ़ा दिया।
इन वीरों में प्रमुख नाम अमर शहीद ठाकुर जोधा सिंह अटैया का है, जिन्होंने अपने 51 साथियों के साथ अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ मोर्चा खोला था।
जोधा सिंह अटैया: स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायक (Freedom Fighter Thakur Jodha Singh Ataiya)
- ठाकुर जोधा सिंह अटैया, उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के अटैया रसूलपुर गांव के रहने वाले थे।
- वे रानी लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे से प्रेरित होकर अंग्रेजों के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध की तकनीक अपनाकर लड़ते रहे।
- 1857 में जोधा सिंह ने क्रांतिकारियों का एक दल तैयार किया, जिसने अत्याचारी अंग्रेज अधिकारियों का अंत किया।
- उन्होंने महमूदपुर गांव में अंग्रेज दारोगा और सिपाही को जिंदा जलाया और कई बार अंग्रेज सेना को चकमा दिया।
- 7 दिसंबर 1857 को रानीपुर पुलिस चौकी पर हमला कर भारी तबाही मचाई और 9 दिसंबर को जहानाबाद के तहसीलदार को बंदी बनाकर सरकारी खजाना लूट लिया।
बावनी इमली पर 52 क्रांतिकारियों की फांसी (Mass Hanging at Bawani Imli)
जब अंग्रेजी हुकूमत को जोधा सिंह अटैया से खतरा महसूस हुआ, तो उन्होंने धोखे से उन्हें और उनके साथियों को बंदी बना लिया।
कर्नल क्रिस्टाइल के नेतृत्व में अंग्रेज सैनिकों ने सभी 52 क्रांतिकारियों को एक ही दिन, एक ही पेड़ से लटका कर फांसी दी।
इसके बाद शवों को पेड़ से उतारने पर भी रोक लगा दी गई और शव महीनों तक पेड़ से लटके रहे। चील-कौवे उन शवों को नोचते रहे, लेकिन देशभक्तों के हौसले नहीं टूटे।
अंतिम संस्कार और अमर बलिदान (Last Rites and Immortal Sacrifice)
जून 1858 में, ठाकुर महाराज सिंह और उनके 900 साथियों ने साहसिक कार्य करते हुए सभी क्रांतिकारियों के कंकालों को पेड़ से उतारा और शिवराजपुर घाट पर गंगा किनारे उनका विधिपूर्वक अंतिम संस्कार किया।
आज भी, बावनी इमली फतेहपुर (Bawani Imli Fatehpur) देशभक्तों के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थल के समान है।
यहां 52 स्तंभ बनाए गए हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को भारत माता के इन वीर सपूतों के बलिदान की अमर गाथा सुनाते हैं।
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FAQ (Frequently Asked Questions)
Q1. बावनी इमली कहां स्थित है?
A1. बावनी इमली उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के खजुहा कस्बे के पास स्थित है।
Q2. बावनी इमली क्यों प्रसिद्ध है?
A2. यहां 1858 में अंग्रेजों द्वारा 52 स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दी गई थी, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक ऐतिहासिक उदाहरण है।
Q3. ठाकुर जोधा सिंह अटैया कौन थे?
A3. ठाकुर जोधा सिंह अटैया 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के एक वीर योद्धा और उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के निवासी थे।
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