दो भाई थे। उनमें आपस में बहुत प्यार था। चूंकि खेतों का बंटवारा हो चुका था इसलिए वे अलग-अलग खेती करते थे। बड़ा भाई विवाहित था, जबकि छोटा अकेला था। एक बार खेती बहुत अच्छी हुई, अनाज बहुत हुआ। खेत में काम करते-करते बड़ा भाई बगल के खेत में छोटे भाई को खेत देखने का कह कर खाना खाने चला गया। उसके जाते ही छोटा भाई सोचने लगा, खेती तो अच्छी हुई, इस बार अनाज भी बहुत हुआ।
दोनों भाई सोचने लगते हैं कि कैसे एक-दूसरे की मदद की जाए, जिससे दोनों सुखमय जीवन व्यतीत कर सकें। उसी सोच में छोटा भाई सोचता है कि मैं तो अकेला हूं जबकि बड़े भाई की तो गृहस्थी भी है मेरे लिए तो यह अनाज जरूरत से ज्यादा है। भैया के साथ तो भाभी बच्चे भी हैं, उन्हें जरूरत ज्यादा है। ऐसा विचार करके उसने 10 बोरे अनाज बड़े भाई के अनाज में डाल दिया। जब वह अनाज बड़े भाई के अनाज में डाल चुका और उसके बाद बड़ा भाई भोजन करके आया तो उसके आते ही छोटा भाई भी भोजन करने चला गया।
छोटे भाई के जाते ही बड़ा भाई विचार करता है कि मेरा गृहस्थ जीवन तो अच्छे से चल रहा है, छोटे भाई को तो अभी अपनी गृहस्थी बसानी है, उसे अभी जिम्मेदारियां संभालनी हैं। मैं इतने अनाज का क्या करूंगा ? ऐसा विचार कर बड़े भाई ने 10 बोरे अनाज छोटे भाई के खेत में डाल दिया। किसी का कुछ भी नहीं घटा लेकिन दोनों भाइयों के मन में हर्ष था। अनाज उतना का उतना ही था और हर्ष स्नेह-वात्सल्य बढ़ा हुआ दिखाई दे रहा था।
शिक्षा : अगर आप अपनी सोच अच्छी रखेंगे तो प्रेम अपने आप बढ़ेगा। अगर ऐसा प्रेम भाई-भाई में हुआ तो दुनिया की कोई भी ताकत आपके परिवार को तोड़ नहीं सकती। इसलिए भाई लड़ाई-झगड़ा न करके एक-दूसरे की भलाई, उन्नति के प्रति सोचें तो संसार में झगड़े ही नहीं होंगे और एक-दूसरे का समाज में आदर सत्कार, सम्मान बढ़ता चला जाएगा। दोनों भाइयों की सकारात्मक सोच और समर्पण की भावना के चलते ही दोनों के प्रेम और भाईचारे की लोग सदैव मिसाल पेश किया करते।
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