पेरेंटिंग | अक्सर बच्चों की कुछ गलतियों पर उनके माता- पिता, पड़ोसी व स्कूल के अध्यापक-अध्यापिकाएं उन्हें मारने या डांटने लगते हैं। वहीं दूसरी ओर बड़े- बुजुर्गों का कहना होता है कि गलती बच्चों की नहीं इनके माता-पिता की है जिन्होंने इनकी सही तरीके से परवरिश नहीं की।

बच्चों की सही परवरिश हर माता-पिता की जिम्मेदारी होती है। माता-पिता भी चाहते हैं कि उनके बच्चों की पेरेंटिंग अच्छे से की जाए ताकि वे बेहतर इंसान बनते हुए ऊंचे मुकाम हासिल करें और खुश रहें। इसके बावजूद सभी बच्चे ऊंचा मुकाम हासिल नहीं कर पाते हैं। इसमें गलती उनके माता-पिता की ही होती है। उनकी गलतियां बच्चों के जीवन की दशा और दिशा बदल देती हैं।
जहां बच्चों को खुश रहना चाहिए वहां बच्चे अपने माता-पिता की गलतियों की वजह से तनावग्रस्त हो जाते हैं। छोटी उम्र में ही बच्चा बड़ा हो जाता है। वह अपना बचपन भूल कर बड़ों को देखते हुए अपनी एक अलग दुनिया बनाता है जो उसे समाज से दूर करती है।
न करें बच्चों के सामने लड़ाई
पति-पत्नी जब माता-पिता बन जाते हैं, तो उनकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। माता-पिता बनने के बाद आपके आसपास कोई और भी होता है जो आपके बीच की बातें सुन और देख रहा होता है। अगर माता-पिता लड़ाई करेंगे, तो बच्चे के मन पर बुरा असर पड़ेगा। किसी भी बहस या बात को बच्चे के सामने करने के बजाय उसके पीछे करें। जिन माता-पिता के बीच अक्सर लड़ाई होती है, उनके बच्चे आगे चल कर रिश्तों पर विश्वास नहीं कर पाते और तनाव का शिकार हो जाते हैं।
अक्सर अभिभावक बच्चे पर अपनी इच्छाओं को पूरा करने का दबाव बनाते हैं। वे बच्चे से कई सारी उम्मीदें लगा लेते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए बच्चे से अपेक्षा करते हैं। इसके कारण बच्चा तनाव में आ सकता है। अभिभावकों की इच्छा और सपनों को पूरा करने के लिए बच्चे पर मानसिक और शारीरिक तौर पर दबाव बढ़ता है।
दूसरों से न करें तुलना
कई बार माता-पिता अपने बच्चों की तुलना उनके दोस्तों या फिर रिश्तेदारों के बच्चों से करने लग जाते हैं। भले ही आप तुलना अच्छे के लिए कर रहे हों, लेकिन इसका असर उनके ऊपर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। अधिकतर बच्चों को दूसरों के साथ की गई तुलना बिल्कुल पसंद नहीं होती है। ऐसे में वे काफी ज्यादा जिद्दी और लापरवाह भी हो सकते हैं। अगर आप उन्हें बेहतर इंसान बनाना चाहते हैं तो उन्हें प्यार से समझाने की कोशिश करें और आपका भी फर्ज है कि आप उनके मन को समझें और उस हिसाब से उन्हें समझाएं।
आगे पढ़िए . . . ताकि बच्चों को हर बार गर्मी की छुट्टियों का इंतजार रहे
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