एक ऐसी जगह है रानीखेत Ranikhet जहां पर बर्फ गिरने का आनंद लिया जा सकता है । यहां थोड़ी सी ठंड पड़ने पर तुरंत बर्फ गिरने लगती है । इसके अलावा यह काफी बेहतरीन जगह है जो लोग स्केटिंग के शौखीन है यहाँ पर दिसम्बर से फरवरी तक बर्फ गिरती है । प्राकृतिक सौंदर्य रानीखेत का सैनालियों को अपनी ओर आकर्षित करता है । हिमालय पर्वत माला के दीदार यहाँ से चीन सीमा से लगी किए जा सकते हैं । पंचाचुला, नंदा देवी को यहां से भी साफ देखा जा सकता है । रानीखेत कुमाऊं की पहाड़ियों में स्थित हिल स्टेशन एक शांत व हरी-भरी वादियों में नई ताजगी भर देने और आध्यात्मिक शांति प्रदान करने वाला हिल स्टेशन है । एक बार यहाँ के संदर्भ में नीदरलैंड के राजदूत ने कहा था कि जिसने रानीखेत Ranikhet नहीं देखा, उसने भारत नहीं देखा ।
रानीखेत भारत में स्थित प्रमुख पर्वतीय पर्यटन स्थल | Where is Ranikhet located in India map ?
रानीखेत कहाँ है ? Ranikhet Kahan Hai / Where is Ranikhet?
रानीखेत Ranikhet भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा ज़िले में स्थित प्रमुख पर्वतीय पर्यटन स्थल, रानीखेत Ranikhet का नाम उत्तर भारत के दिल्ली समेत मैदानों से सबसे सुगम हिल स्टेशनों में प्रमुखता से लिया जाता है। वैसे तो रानीखेत किसी परिचय का मोहताज नहीं है, लेकिन यहां कोई भीड़ आज भी नहीं होती है। पीक सीजन में भी आप पहाड़ों में कुछ किलोमीटर की यात्रा करके आसानी से रानीखेत Ranikhet पहुंच सकते हैं।
यहाँ से पिंडारी ग्लेशियर, दुनागिरी, चौबटिया, कौसानी, द्वाराहाट, कालिका, बिनसर महादेव मंदिर जैसे जगहों पर आसानी से पहुंचा जा सकता है ।

रानीखेत का मौसम Ranikhet Weather / Weather in Ranikhet / Ranikhet Temperature
रानीखेत का मौसम समुद्र तल से 1,800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हमेशा ही खुशनुमा बना रहता है। आप यहां से हिमालय की त्रिशूल और नंदादेवी (Nanda Devi) की समेत कई चोटियों को देख सकते हैं।
रानीखेत के दर्शनीय स्थान Ranikhet Places to Visit / Ranikhet Tourist Places
उत्तराखंड में स्थित रानीखेत Ranikhet Uttarakhand के दर्शनीय स्थानों में चौबटिया गार्डन Chubattia Gardenऔर झूलादेवी मंदिर Jhula Devi Temple प्रमुख हैं। कुमाऊं Kumaon की प्रमुख आराध्या देवी झूलादेवी हैं, जो दुर्गा का रूप हैं। लोग यहां दूर-दूर से आते हैं और घंटियां चढ़ाते हैं। पास इसी केचौबटिया गार्डन स्थित है। यहां आपको बादाम, सेब, खुबानी के बगीचे देखने को मिलेंगे। इन बगीचों में आप चहलकदमी कर सकते हैं। बैकग्राउंड पीछे में दिख रहीं हिमालय की बर्फीली चोटियां नजारों में चार चांद लगा देती हैं।
आप थोड़ी दूर रानीखेत Ranikhet से जाएंगे तो कई ऐसे स्थान मिलेंगे, जहां से आपका वापस लौटने का मन नहीं करेगा। इनमें प्रमुख मजखाली Majkhali है। एक छोटा-सा गांव रानीखेत से 10- 12 किलोमीटर दूर मजखाली है। यहां आप कुमाऊं के ग्राम्य जीवन का आनंद ले सकते हैं। कुछ होमस्टे Home Stay मजखाली में भी हैं, जहां आप ग्रामीणों के साथ ठहर सकते हैं और उनके साथ उनकी दिनचर्या में आप भागीदारी कर सकते हैं। रानीखेत क्षेत्र में हिमालय का सर्वोत्तम नजारा मजखाली से ही देखने को मिलता है।
रानीखेत से 30 किमी दूर शीतलाखेत ( Sitlakhet ) भी एक छोटा-सा गांव है। लेकिन शीतलाखेत अपने प्राकृतिक दृश्यों के कारण और एकदम एकांत में होने के कारण शीतलाखेत आजकल पर्यटक मानचित्र पर आने लगा है। स्याही देवी का मंदिर Syahi Devi Temple शीतलाखेत के पास ही 2,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जो इस क्षेत्र का सबसे ऊंचा स्थान भी है। ऐतिहासिक नगरी द्वाराहाट रानीखेत से 35 किमी दूर स्थित है। इसे प्राचीन मंदिरों का स्थान भी कहा जाता है। यहां द्वाराहाट के मंदिर भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित हैं। ये सभी मंदिर 7वीं से 16वीं शताब्दियों के मध्य निर्मित किए गए थे।
कौसानी Kausani रानीखेत से 60 किमी की दूरी पर स्थित है। त्रिशूल चोटी / त्रिशूल पर्वत का नजारा यहां से सबसे शानदार दिखाई देता है। कौसानी में आप अनासक्ति आश्रम, पंत म्यूजियम और चाय के बागान देख सकते हैं।
⚫ रानीखेत कैसे पहुंचें ? How to reach ranikhet ? / Ranikhet Express Route /
काठगोदाम सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है, जो यहां से 75 किमी दूर है। रानीखेत के लिए काठगोदाम से नियमित रूप से बसें और टैक्सियां चलती हैं! नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर से 100 किमी दूर है।
⚫ रानीखेत में कहां ठहरें ?
रानीखेत बाजार में आपको हर बजट के होटल मिल जाएंगे। रानीखेत बाजार में सस्ते होटल भी मिलेंगे। आप यदि होमस्टे में ठहरना चाहते हैं, तो मजखाली सर्वोत्तम है। यहां आलीशान रिसॉर्ट कई हैं, जहां से आपको हिमालय की बर्फीली चोटियों का नजारा देखने को मिल जाता है।
⚫ रानीखेत में कब जाएं ? Best time to visit Ranikhet
पूरे साल रानीखेत जाया जा सकता है। यहां का मौसम गर्मियों में खुशनुमा बना रहता है। हरियाली मानसून में अत्यधिक बढ़ जाती है। यहां सर्दियों में हिमपात भी होता है, लेकिन रास्ता खुला रहता है।
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